किसान अधिक मुनाफा पाने के लिए अपने खेत में सीजन के अनुसार फसल को उगाते हैं. ज्यादातर यह देखा गया है कि गर्मियों के मौसम में बाजार में सब्जियों की मांग काफी अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि गर्मियों का सीजन ऐसा होता है कि इसमें सब्जियों की आवक बेहद कम हो जाती है. जिसका असर बाजार में देखने को मिलता है.
मंडियों में सब्जियों के दाम काफी अधिक हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में किसान अपने खेत में सब्जियों की खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इसके लिए वह अपने खेत में भिंडी, तोरई, घीया, टिंडा, खीरा, ककड़ी और करेले की खेती कर सकते हैं. किसान भाइयों के लिए करेले की खेती सबसे लाभदायक खेती में से एक है, क्योंकि इसकी खेती को एक साल में दो बार आसानी से किया जा सकता है.
करेले की सब्जी पर एक नजर (A look at bitter gourd vegetable)
करेला अपने कड़वेपन और कुदरती गुणों के कारण बाजार में जाना जाता है. बता दें कि यह सब्जी स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद सब्जियों में से एक है. भारत में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि- कारवेल्लक, कारवेल्लिका, करेल, करेली तथा करेला आदि, लेकिन इनमें से करेला नाम सबसे अधिक लोकप्रिय है.
करेले की खेती में यूपी के किसान आगे (UP farmers ahead in bitter gourd cultivation)
सरकार की नई-नई तकनीकों व योजनाओं को किसान अपने खेत में अपने पर जोर दे रहे हैं, ताकि वह अपनी आय में वृद्धि कर सकें. इस क्रम में यूपी के हरदोई किसान इन दिनों नई तकनीक को अपनाकर अपने खेत में करेले की खेती (Bitter gourd cultivation) से 10 गुना (10x) ज्यादा पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. अगर आप भी अपने खेत से अधिक मुनाफा चाहते हैं, तो आप इन तकनीकों के इस्तेमाल से करेले की खेती करें.
जाल विधि का करें इस्तेमाल (use mesh method)
करेले की खेती के लिए जाल विधि सबसे उत्तम मानी जाती है, क्योंकि इसकी विधि से करेले की फसल (bitter gourd crop) से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. किसान इस विधि में अपने पूरे खेत में जाल बनाकर करेले की बेल को फैला देता है. इस विधि से फसल पशुओं के द्वारा नष्ट नहीं होती है और साथ ही बेल वाली सब्जी होने के कारण यह जाल में अच्छे से फैल जाती है. इस विधि की सबसे अच्छी खासियत यह है कि किसान इसे नीचे क्यारियों की खाली जगह पर धनिया और मैथी जैसी अतिरिक्त सब्जियों को उगा सकते हैं.
ग्रीनहाउस और पॉली हाउस विधि (Green house and poly house method)
इन दोनों विधि के द्वारा किसान किसी भी समय अपने खेत में करेले की खेती से लाभ प्राप्त कर सकते हैं. देखा जाए, तो आज के समय में ऐसी नई किस्में भी बाजार में मौजूद हैं, जिससे किसान सर्दी, गर्मी और बारिश तीनों ही मौसम में उगा सकते हैं.
करेले की खेती के लिए किस्में (Varieties for Bitter gourd Cultivation)
हमारे देश में करेले की खेती के लिए कुछ ही किस्में का इस्तेमाल अपने खेत में सबसे अधिक करते हैं. जो कुछ इस प्रकार से हैं.
भारत में करेले की प्रमुख किस्में (Major varieties of bitter gourd in India)
-
ग्रीन लांग (Green Long)
-
फैजाबाद स्माल (Faizabad Small)
-
जोनपुरी (Jonpuri)
-
झलारी (Jhalari)
-
सुपर कटाई (Super Harvesting)
-
सफ़ेद लांग (White Long)
-
ऑल सीजन(All Season)
-
हिरकारी (Hikari)
-
भाग्य सुरूचि (Destiny Souchi)
-
मेघा – एफ 1 (Megha – F1)
-
वरून – 1 पूनम (Varun – 1 Poonam)
-
तीजारावी (Tejaravi)
-
अमन नं.- 24 (Aman No.- 24)
-
नन्हा क्र.– 13 (Little No.– 13)
-
पूसा संकर 1 (Pusa Sankar 1)
-
पी.वी.आई.जी. 1 (PVIG 1)
-
आर.एच.बी.बी.जी. 4 (R.H.B.G. 4)
-
के.बी.जी.16 (KBG16)
-
फैजाबादी बारह मासी (Faizabadi Barah Masi)
-
अर्का हरित (Arca Green)
-
पूसा 2 मौसमी (Pusa 2 Seasonal)
-
कोयम्बूर लौंग (Coimbatore cloves)
-
सी 16 (C16)
-
पूसा विशेष (Pusa Special)
-
कल्याण पुर बारह मासी (Kalyan Pur Barah Masi)
-
हिसार सेलेक्शन (Hisar Selection)
करेले की खेती के लिए उचित विधि (Proper method for cultivation of bitter gourd)
करेले की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी (clay loam) में करनी चाहिए. इसके साथ ही अच्छे जल निकास वाली भूमि को चुनें. इस बात का भी ध्यान रखें कि खेत में जलभराव वाली स्थिति ना बने. ऐसा करने से करेले की खेती (Bitter gourd cultivation) को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है. करेले की खेती में बीज बुवाई (Sowing seeds in bitter gourd cultivation) का भी ध्यान रखें. इसके लिए खेत में बीजों को 2 से 3 इंच गहराई पर ही बुवाई करें और नालियों की दूरी लगभग 2 मीटर व पौधों की दूरी 70 सेंटीमीटर रखें.
करेले की खेती में लागत व मुनाफा (Cost and profit of bitter gourd cultivation)
अगर आप अपने खेत के 1 एकड़ में करेले की खेती (Bitter gourd cultivation in acres) करना शुरू करते हैं, तो आपको करीबन 30 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ेंगे. खेत में अगर आप ऊपर बताई गई तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, तो आप अपने खेत के प्रति एकड़ से लगभग 3 लाख रुपए तक का मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. अगर हिसाब लगाया जाए तो आप अपनी लागत से 10 गुना अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं.
Share your comments