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मुनगा की खेती से किसान होंगे मालामाल, एक बार लगाने पर 4 साल तक मिलती है उपज

देश में बदलते परिवेश में परंपरागत खेती से अलग नकदी फसलों को उगाकर अच्छी आमदनी की जा सकती है. आज कल मुनगा की खेती पर लोगों का फोकस तेजी से बढ़ रहा है. मुनगा की खेती बंजर जमीन पर भी की जा सकती है. यह एक मेडिसिनल प्लांट है. कम लागत में तैयार होने वाली मुनगा फसल की खासियत यह है कि एक बार बुवाई के बाद 4 साल तक बुवाई नहीं करनी पड़ती, सिर्फ मुनाफा कमाना होता है.

राशि श्रीवास्तव
मुनगा की खेती
मुनगा की खेती

कोरोना का विकराल रूप देखने के बाद अब लोग अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और अपने खान-पास में ऐसी चीजों को शामिल कर रहे हैं जो कि पोष्टिक हो और मुनगा इनमें से ही एक है. मुनगा को सहजन, सेंजन, मोरिंगा नाम से भी जाना जाता है. बाजार में इसकी जितनी मांग सब्जी के रूप में होती है उससे ज्यादा मात्रा में औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. मुनगा में 92 तरह के मल्टी विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड और आयरन आदि प्रचूर मात्रा में होते हैं. इसकी पत्तियां कुपोषण और खून की कमी को पूरा करती हैं. इसकी पत्तियां दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाने के भी काम आती हैं खेती में लागत की अपेक्षा मुनाफा अधिक होता है सिंचाई और रखरखाव  की भी अधिक जरूरत नहीं होती इसलिए किसानों की इस फसल में दिलचस्पी ज्यादा है. ऐसे में जानते हैं खेती का तरीका

अनुकूल जलवायु-  25-30 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान पर मुनगा के पौधे का हरा-भरा और काफी फैलने वाला विकास होता है. यह ठंड को भी सह लेता है लेकिन पाला लगने से नुकसान होता है. फूल आते समय 40 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर फूल झड़ने लगते हैं. कम या ज्यादा बारिश से भी कोई नुकसान नहीं होता. 

उपयुक्त मिट्टी- सभी प्रकार की मिट्टी में खेती की जा सकती है. इतना ही नहीं बेकार, बंजर और कम उर्वरा भूमि में भी खेती कर सकते हैं लेकिन व्यवसायिक खेती के लिए 6 से 7.5 PH मान वाली बलुई दोमट मिट्टी बेहतर होती है. 

खेत की तैयारी- पौधों की रोपाई के लिए गड्ढे तैयार किए जाते हैं. खरपतवार से साफ-सफाई करने के बाद ढाई x ढाई मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंटीमीटर आकार के गड्ढे बनाते हैं. गड्ढे की ऊपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद मिलाकर गड्ढे को भर देते हैं. जिससे खेत पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता है.

रोपाई- मुनगा के बीजों की सीधे खेतों में रोपाई या फिर  नर्सरी में पौधे तैयार करके भी की जा सकती है. खेतों में पौधों की रोपाई जुलाई से सितम्बर के बीच करनी चाहिए. क्योंकि बारिश के मौसम में पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं और सिंचाई की ज़रूरत भी नहीं होती. नर्सरी में एक पॉलीथिन बैग में सहजन के 2-3 बीज रोपना चाहिए. जो 10 से 12 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं. फिर जब पौधे डेढ़-दो फीट के हो जाएं तब इन्हें खेत में लगाना चाहिए.

सिंचाई-  अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई लाभदायक होती है. गड्ढों में बीज से  प्रबर्द्धन किया हो तो बीज के अंकुरण और अच्छी तरह से स्थापन तक नमी का बना रहना जरूरी है. फूल लगने के समय खेत ज्यादा सूखा या ज्यादा गीला रहने पर दोनों ही अवस्था में फूल के झड़ने की समस्या होती है.

ये भी पढ़ेंः करोड़ों की लागत से इस राज्य में लगेगी प्रोसेसिंग यूनिट, मुनगा की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा लाभ

लागत और मुनाफ़ा-  एक हेक्टेयर में मुनगा के करीब 400 से 500 पेड़ लगाए जा सकते हैं. प्रति हेक्टेयर लागत 70-75 हज़ार आती है. एक पेड़ से एक सीज़न में औसतन 200 से 300 फलियाँ मिलती हैं. जिनका वजन 40 से 50 किलो तक होता है. इस तरह प्रति हेक्टेयर 1600 से 2000 किलो मुनगा पैदा होता है, जो बाज़ार में एक से दो लाख रुपये तक बिकता है. चूँकि उपज साल में दो बार मिलती है ऐसे में खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

English Summary: Farmers will be rich from the cultivation of munga, once planted, the yield will be available for 4 years Published on: 24 March 2023, 03:10 PM IST

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