किसानों को कृषि क्षेत्र से अधिक से अधिक लाभ मिल पाए, इसके लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं. एक प्रकार से किसानों की खेतीबाड़ी खाद गुणवत्ता और उनके संतुलित उपयोग पर निर्भर होती है. इस ओर विशेष ध्यान भी दिया जा रहा है. इसके परिणाम भी लगातार बेहतर दिखाई दे रहे हैं. इसी कड़ी में पंजाब के किसान मालामाल हो रहे हैं, तो आइए आपको किसानों की शानदार आमदनी का राज़ बताते हैं.
किसानों को हुई करोड़ों की बचत
दरअसल, पंजाब के किसानों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. उन्होंने खाद और डीएपी का कम उपयोग किया, जिससे किसानों को करीब 365 करोड़ रुपए की बचत हुई है. बता दें कि साल 2018 की धान की फसल में यूरिया की खपत करीब 86,000 मीट्रिक टन थी, तो वहीं डीएपी की खपत करीब 46,000 टन कम की गई. इसके बाद साल 2019 में यूरिया की खपत करीब 82,000 मीट्रिक टन और डीएपी की खपत 33,000 टन कम करने में सफलता मिली है.
किसानों के काम आएगा पैसा
किसान ये पैसा अपने परिवार और दूसरे कामों में लगा सकता है, जबकि पहले ये पैसा यूरिया और डीएपी के गैर जरूरी उपयोग में बेकार हो जाता था. इस तरह राज्य में फसलों में रसायनों का उपयोग भी कम होगा. इसके अलावा किसान अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा भी उतर पाएगा. इससे देश की आबादी और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को काफी लाभ मिलेगा. बताया जा रहा है कि राज्य में कपास और अन्य फसलों पर कीटों या फिर किसी और फसलीय बीमारी के लगने की कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है. इससे किसानों को काफी आर्थिक मदद मिल रही है.
पंजाब सरकार का अहम कदम
पंजाब सरकार ने किसानों के लिए एक बहुत अहम कदम उठाया है. बता दें कि अब राज्य में नकली बीज, नकली रसायन, घटिया कृषि रसायनों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लग गई है. इस कारोबार को करने वाले लोगों पर सख्ती दिखाई जाएगी. सरकार का प्रयास है कि खेतीबाड़ी से संबंधित कोई भी रसायन को बिना बिल के न बेचा जाए. अगर किसान के पास बीज या रसायन की खरीद का बिल होगा, तभी गड़बड़ी पाए जाने पर विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई हो पाएगी.
कई कीटनाशक का उपयोग हुआ कम
आपको बता दें कि यह कृषि विभाग का ही प्रयास है, जिससे खेती में करीब 5 कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जा सका है. इसमें ऐसिफोट, कारबाडिज्म, ट्रियोजोफोस, थियामैटोजाम और ट्राईसाइक्लिोजोल शामिल हैं.
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