किसी जामने में किसानों के लिए गूंदे, काचरी, ग्वार की फली, कैरी व सांगरी आदि उपज महज आजीविका का साधन थी. मगर अब यह किसानों के लिए व्यापार का एक जरिया बनती जा रही हैं. सबसे ज्यादा कैरी व सांगरी ने अपनी पहचान बनाई है.
कैर, सांगरी (Ker sangri) सूखे क्षेत्र में उगाई जाती है, जिसकी पहचान देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक है. आइए हम आपको इस कैर व सांगरी की सब्जी के बारे में ही बताते जा रहे हैं.
कहां उगती है कैर व सांगरी
रेगिस्तानी इलाके में कैर व सांगरी (Ker Sangri) उगाई जाती है. इसकी मांग अप्रवासी राजस्थानी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, असम समेत कई राज्यों तक बढ़ रही है. बता दें कि कैर के झाडिय़ों पर उगती है, तो वहीं सांगरी खेजड़ी के पेड़ पर पैदा होती है. सबसे खास बात यह है कि इस पर 48 डिग्री तापमान और तेज सर्दी का भी खास असर नहीं होता है.
खाद व दवा का प्रयोग
इसमें किसी प्रकार का खाद और दवा का प्रयोग नहीं होता है, इसलिए यह पूरी तरीके से शुद्ध सब्जी मानी जाती है. ग्रीष्मकालीन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में कैर, सांगरी (Ker Sangri) और कुमटी की बहार छाई रहती है. जब यह ताजा होती है, तब इससे आचार बनाया जाता है, तो वहीं इसे सुखाकर सब्जी बनाई जाती है.
मिट्टी के मटके उपयोग
कैर को खाने योग्य बनाने की भी एक प्रक्रिया है. इसके लिए मिट्टी के मटके में पानी भरकर, उसमें नमक का घोल बनाया जाता है और फिर कई दिनों तक कैर को डुबोकर रखा जाता है. इससे कड़वापन खत्म हो जाता है और इसका स्वाद खट्टा मीठा हो जाता है.
कैर सांगरी में कई औषधीय गुण
इसमें विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन, और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. यह एंटी ऑक्सीडेंट युक्त है, जो कि विभिन्न रोगों से बचाती है. बता दें कि कैर के डंठल से चूर्ण भी तैयार किया जाता है, जो कि कफ और खांसी से बहुत जल्द राहत दिलाता है. कैर की छाल से बना चूर्ण पेट को साफ रखता है, साथ ही कब्ज की समस्या दूर करता है. इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. ध्यान रहे कि कैर सांगरी की सब्जी बनाने से पहले इसको उबालना भी जरूरी होता है.
आपको बता दें कि महंगे शौक रखने वाले दुबई के शेख भी शेखावाटी की कैर सांगरी मंगवा रहे हैं. शेखावाटी की हर शादी व बड़े आयोजनों में कैर सांगरी की सब्जी बनती है.
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