लाह उत्पादन की मांग इन दिनों लगातार बढ़ती जा रही है. एक आंकड़े के मुताबिक लाह का उत्पादन करने में झारखंड राज्य विश्व में पहले स्थान पर है. झारखंड में लाह की खेती सबसे अधिक की जाती है. क्योंकि यहाँ के किसानों के पास लाह की खेती करने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद है.
जो उन्हें इस खेती को करने में बेहद मदद करते हैं. इसके अलावा झारखंड का मौसम भी लाह की खेती करने के लिए उत्तम होता है. आंकड़ों के अनुसार झारखंड राज्य में प्रति वर्ष 15-16 हजार टन लाह का उत्पादन किया जाता है. यहाँ के अधिकतर लोगों की यह खेती जीवन जीने का साधन एक बेहतरीन स्त्रोत है.
आपको बता दें कि लाह का उत्पादन बेर और कुसुम पेड़ में किया जाता है. यहीं नहीं इस खेती को सेमियालता के पौधों में भी आराम से किया जाता सकता है. इस खेती को करने देश के किसान भाई हर साल एक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
लाह की खेती के फायदे सेमियालता में (Benefits of lacquer cultivation in Semialata)
सेमियालता एक तरह का पौधा है, जो मौजूदा समय में आपको परंपरागत खेती के अलावा कई गुना मुनाफा कमा कर आराम से दे सकता है. इस पौधे की ऊंचाई लगभग 5 से 7 फीट होती है. बता दें कि सेमियालता की खेती खाली पड़ी जमीन पर की जाती है. इस खेती को करने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करनी के भी जरूरत नहीं होती है. क्योंकि इस खेती में पानी की मात्रा बहुत ही कम लगती है, ना मात्र ही पानी ही लगता है.
जैसे कि आप जानते है कि यह पौधा अधिक लंबा नहीं होता है, इसलिए इसमें लाह के कीट आसानी से लग जाते है.देखा जाए तो सेमियालता की खेती को अधिकतर महिला करती हैं. क्योंकि इसकी खेती की देख-रेख करना बेहद आसान होता है और साथ ही इस खेती में समय-समय पर दवाईय़ां का छिड़काव करना भी आसान होता है.
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लाह की खेती कैसे करें (how to cultivate lacquer)
लाह की खेती हर छह महीने में फल-फूल कर तैयार हो जाती है. इसकी खेती करने के लिए आपके पास कुसुम या बेर के पेड़ होने चाहिए. इसकी खेती को आप साल के दो बार यानी एक जुलाई के महीने में और वहीं दूसरी खेती जनवरी के महीने में कर सकते हैं.
इसके बाद अपने खेतों में पहला 28 दिन, उसके 10 दिन बाद दूसरा स्प्रे देना चाहिए. फिर अंतिम स्प्रे 60 दिन में या उसके बाद होना चाहिए. जिससे की यह अच्छे से तैयार हो सके.
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