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विलुप्त हो रहे कैथ की खेती से किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा

समुचित देखभाल और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से कई ऐसे पेड़-पौधे विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके हैं, जो वाकई विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होते हैं. इसमें एक नाम कैथा/कबीट का है. जिसे वुड एप्पल या मंकी फ्रूट के नाम से भी जाना जाता है. कैथ के गुणों की वजह से इसकी डिमांड ज्यादा रहती है लेकिन अब कैथ के पेड़ कम हैं ऐसे में कैथ की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

राशि श्रीवास्तव
कैथ की खेती
कैथ की खेती

कैथ की खेती सबसे पहले भारत में की गई थी, लेकिन यह एशिया के दक्षिणी भाग श्रीलंका, थाईलैंड और अन्य क्षेत्रों में भी पाया जाता है.  कैथ एक जड़ी बूटी है. कैथ, (कपित्थ) (कबीट) का वानस्पतिक नाम लिमोनिया एसिडिसिमा है. दुनिया के कुछ हिस्सों में इस फल को हाथी सेब के नाम  भी जाना जाता है क्योंकि हाथियों को यह बहुत ज्यादा पसंद होता है. बीज से उगाए गए पौधे करीब 15 साल में फल देने के लायक होते हैं. कैथ के पत्तों से निकाले गए तेल का इस्तेमाल खुजली के उपचार सहित अन्य कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए औषधि के तौर पर सदियों से किया जाता है. पके हुए कैथ के गूदे का स्वाद खट्टा-मीठा होता है और इसके बीज गूदे से ही लगे होते हैं. कैथ के पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है लेकिन डिमांड अब भी उतनी है ऐसे में खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. 

अनुकूल जलवायु- कैथ उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा है. यह समुंद्रतल से 4000 फीट की ऊंचाई जहां गर्मियों में तापमान 49 डिग्री सेंटीग्रेट बढ़ता है और सर्दियों में -7 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिरता है वहां कैथ का पेड़ उग सकता है.

भूमि का चयन- कैथ का पेड़ कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है इसे दलदलीय, क्षारीय, पथरीली मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसके लिए मिट्टी का पी.एच.  मान 5-8 होना चाहिए.

खेत की तैयारी- कैथ की खेती के लिए भूमि को खरपतवार मुक्त करने के लिए अच्छी तरह साफ सफाई करें. उसके खेत की अच्छी तरह जुताई करें. उसके बाद गड्ढों की खुदाई करना चाहिए.

बुवाई का समय- कैथ के बीजों के लिए प्रवर्धन का समय, अधिक गर्मियों और मानसून (मई-जून माह) के शुरुआती दिनों का समय उपयुक्त होता है.

बुवाई का तरीका- कैथ के पौध रोपण के लिए  बीजों से नर्सरी तैयार करना और कलम विधि से पौधों का रोपण किया जाता है.

पौध रोपण का तरीका- पौध रोपण के लिए खेत में अप्रैल-मई में 3x3x3 फीट के गड्ढे खोद लेना चाहिए और गड्ढों को खुला छोड़ देना चाहिए जिससे की इनमें अच्छी तरह धुप लग सके और गड्डे भूमिगत कीड़ों से मुक्त हो जायें. पौध रोपण के समय गड्ढों को 3-4 टोकरी सड़ी गोबर की खाद, 20-25 कि.ग्रा. बालू और एक किलोग्राम चूना मिलाकर 6-8 इंच ऊंचाई तक भर देना चाहिए. पौधरोपण के लिए गड्ढो की सामान्य दूरी 8 मीटर होना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः कैथा एक बहु उपयोगी फल एवं उपयोग

सिंचाई- नये पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए एक दो साल सिंचाई की जरूरत पड़ती है. स्थापित पौधे बिना सिंचाई के भी अच्छी तरह से रह सकते हैं.

English Summary: Farmers can earn good profits from the cultivation of extinct Kaith Published on: 11 February 2023, 05:54 PM IST

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