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परंपरागत खेती छोड़कर 12 सालों में नर्सरी और बागवानी से बनाई अलग पहचान

परंपरागत खेती में लगातार हो रहे घाटे से परेशान होकर गांव दहमान के किसानों के द्वारा बागवानी और नर्सरी करने के बाद से उनके जीवन में काफी बदलाव आए है. किसान फूल सिंह दहिया ने परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी और नर्सरी को बढ़ावा दिया तो काफी लोगों को रोजगार तो मिला साथ ही किसान प्रतिवर्ष खर्चा को निकाल कर 10 लाख रूपए की मदद कर रहा है. यहां पर दहमान के किसान फूल कुमार दहिया के पास कृषि योग्य कुल 12 एकड़ ही जमीन है. जिसमें वह नरमा, धान, इत्यादि की फसल ले लेता था. किसान ने अपने बाग में आडू शान -ए-पंजाब, अलु बुखारा सतलुज परपल की किस्मों को लगाया है. इसके अतिरिक्त हिसार सफेदा अमरूद, पेमली बेर के बाग आदि के साथ-साथ पौने एकड़ में नर्सरी का फार्म भी बना लिया है.

किशन
garden green

परंपरागत खेती में लगातार हो रहे घाटे से परेशान होकर गांव दहमान के किसानों के द्वारा बागवानी और नर्सरी करने के बाद से उनके जीवन में काफी बदलाव आए है. किसान फूल सिंह दहिया ने परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी और नर्सरी को बढ़ावा दिया तो काफी लोगों को रोजगार तो मिला साथ ही किसान प्रतिवर्ष खर्चा को निकाल कर 10 लाख रूपए की मदद कर रहा है. यहां पर दहमान के किसान फूल कुमार दहिया के पास कृषि योग्य कुल 12 एकड़ ही जमीन है. जिसमें वह नरमा, धान, इत्यादि की फसल ले लेता था. किसान ने अपने बाग में आडू शान -ए-पंजाब, अलु बुखारा सतलुज परपल की किस्मों को लगाया है. इसके अतिरिक्त हिसार सफेदा अमरूद, पेमली बेर के बाग आदि के साथ-साथ पौने एकड़ में नर्सरी का फार्म भी बना लिया है.

15 लोगों को रोजगार

किसान ने बताया कि नर्सरी फार्म में 15 लोगों को स्थाई रोजगार भी मिला हुआ है. जबकि 70 से ज्यादा लोगों को बाग में फल को तोड़ने और बेचने और मंडियों तक में पहुंचाने का काम किया है. बाग और नर्सरी के कर्मचारियों का वेतन और खर्चे को निकाल कर के प्रतिवर्ष 10 लाख रूपए का मुनाफा हो रहा है. किसान बताता है किवह पूरे दिन ही नर्सरी फार्म में बैठकर विभिन्न प्रकार के पौधे तैयार करवाता है.

garden

सफेद कलमी पौधों की डिमांड बढ़ी

किसान फूल कुमार दहिया ने बताया कि पिछले 12 वर्षों से वह अपने परिवार के लिए खाने के लिए गेंहू और चावल बाजार से खरीद सकते है. जबकि अपनी 12 एकड़ भूमि में वह गेंहू और चावल की पैदावर नहीं लेते है. वह परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी के प्रति रूझान करने के बाद हुए फायदे से दहमान के कई किसान में भी परिवर्तन हुआ है. अब इसमें चार तरह के नर्सरी फार्म भी खुल चुके है.

किसानों के जीवन में परिवर्तन

किसान पिछले कई दिनों से राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से बाग पंजीकरण चलवाने को लेकर काफी प्रयास चल रहा था जिसको मान्यता मिल गई है. किसान ने बताया कि हरियाणा, पंजाब में सफेदा कलमी पौधों की जरूरत से ज्यादा डिमांड बढ़ गई है. किसानों के पास अमरूद का मदर प्लांट है और वह मदर पौधों को कलम को बनाकर हिसार सफेदा अमरूद तैयार होता है. परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी के प्रति रूझान करने के बाद हुए फायदे से कई किसानों के जीवन में परिवर्तन आया है.

English Summary: Farmers are earning huge profits with the help of horticulture and nursery Published on: 01 August 2019, 04:45 PM IST

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