बिहार के भागलपुर के भीखनपुर के रहने वाले 44 साल के राजा बोस को कुल सात हजार पत्नियां है. उनका परिवार काफी ज्यादा हरा-भरा है. दरअसल यहां पर स्थित न्यू सेंचुरी स्कूल के प्राचार्य के पास कुल सात हजार से ज्यादा पौधे है. पौधे के प्रति इतना लगाव है कि उनके मन में कभी भी शादी का ख्याल नहीं आया था. देश के विभिन्न जगहों पर आयोजित पुष्प प्रदर्शनी में उनके पौधे और फल कई बार काफी पुरस्कृत हो चुके है. उन्होंने अपने घर को ही गार्डन बना लिया है. उनका नाम बॉटनिकल वंडरलैंड रखा है. यहां पर छत, दीवार, बालकनी और जमीन में 500 से ज्यादा प्रजाति के पौधे है.
बेंगलुरू से बागवानी की प्रेरणा मिली
राष्ट्रीय स्तर पर राजा टेबल टेनिस खिलाड़ी रह चुके है. वर्ष 1986 में जूनियर स्तरीय स्कूली प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वह बेंगलुरू गए थे. वहां की बागवानी ने उनको आकर्षित किया. उसके बाद उनका बागवानी में मन लगता गया. सड़क किनारे प्लास्टिक की बोतल अगर मिलती है तो वह घर लाकर उसमें पौध लगाते है.
गमले में उपजाते है पौधे
गमले में ही आम, नारंगी, चीकूं, नींबू, चेरी, शरीफा, पपीता, मौसमी आदि फसल को उगाते है. जापानी टेक्नोलॉजी के माध्यम से बड़े पौधे को छोटे प्रारूप में विकसित करके उसमें फल का उत्पादन हो रहा है. उनके पास औषधीय में लेमन ग्रास, पत्थरचूड़, सहाबहरा, इन्सुलिन, जेटरोफा, तुलसी, अश्वगंधा के पौधे है. सजावटी पौधों में डाइफेनबेकिया, एगालिया, ड्रैसिना, फर्न है. सकुलेंट पौधे में पेचीपोडियम, आईपोमिया, अगेभ, यूफोरविया के अलावा गुलाब फूल के कुल 40 तरह के पौधे है. वही पर अड़हुल फूल भी 50 प्रकार के है.
दुर्लभ पौधे वाटिका की शान
यहां पर भीखनपुर स्थित न्यू सेंचुरी स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के सकुलेंट, कमल, बांग्लादेश के एडेनियम, मेडागास्कर के केकटस, तांजनिया के यूफोरविया आदि पौधे दुर्लभ है. ये सभी पौधे कोलकाता, आगार, दार्जिलिंग, चंडीगढ़ और दिल्ली से मंगवाते है.
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