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औषधीय फसल को लगाकर किसान महका रहा है अपनी बगिया

एक तरफ जहां किसानों का खेती के प्रति रूझान कम हो रहा है तो वही दूसरी ओर कुछ किसान ऐसे है जो कि हिम्मत हारने की जगह खेती में मुनाफा कमाने के लिए नये-नये प्रयोग कर रहे है. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के ऐरायां ब्लॉक में रहने वाले निवासी विजेंद्र सिंह ने औषधीय खेती को अपनाकर उससे मोटी कमाई की और साथ ही वह दूसरे किसानों के सामने नजीर पेश करने का काम कर रहे है. दरअसल विजेंद्र ने पांच साल पहले लेमन ग्रास और पामा रोजा की खेती को शुरू किया था. तभी से वह लगातार इसकी खेती को करते चले आ रहे है. वह अपने बल पर हर्बल खेती करके लाखों रूपये कमाने का कार्य करते है.

किशन
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एक तरफ जहां किसानों का खेती के प्रति रूझान कम हो रहा है तो वही दूसरी ओर कुछ किसान ऐसे है जो कि हिम्मत हारने की जगह खेती में मुनाफा कमाने के लिए नये-नये प्रयोग कर रहे है. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के ऐरायां ब्लॉक में रहने वाले निवासी विजेंद्र सिंह ने औषधीय खेती को अपनाकर उससे मोटी कमाई की और साथ ही वह दूसरे किसानों के सामने नजीर पेश करने का काम कर रहे है. दरअसल विजेंद्र ने पांच साल पहले लेमन ग्रास और पामा रोजा की खेती को शुरू किया था. तभी से वह लगातार इसकी खेती को करते चले आ रहे है. वह अपने बल पर हर्बल खेती करके लाखों रूपये कमाने का कार्य करते है.

लेमन और पामा ग्रास की कर रहे खेती

विजेंद्र के पास कुल 22 बीघा खेती योग्य भूमि है जिसमें से तीन बीघे में पामा रोजा और 14 बीघे में लेमन ग्रास की खेती करने का कार्य किया जाता है. दरअसल इस खेती को करने में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसके लिए बुआई दोमट मिट्टी में होना चाहिए. इस फसल की खास बात है कि उपजाऊ मिट्टी के साथ ही यह बंजर भूमि में भी पैदा की जा सकती है साथ ही अन्य फसलों की तरह इसमें भी रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है. इसमें बेहतर पैदावार के लिए डीएपी, जिंक, सल्फर, आदि उर्वरक प्रयोग में लाए जाते है. वह कहते है कि पामा रोजा एक ऐसी खेती है जिसकी नर्सरी एक बार लगाने के बाद छह साल तक फसल काटी जाती है. इसके लिए प्रति बीघे एक किलो बीघे की आवश्यकता पड़ती है. ये खुशबू देता है इसीलिए इसको जानवर नहीं छूते.

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जून से दिसंबर में आते है फूल

लेमन ग्रास की खेती की बात करें तो विजेंद्र सिंह ने बताया कि जून से दिसंबर महीने के बीच में इसकी बुआई की जाती है. जैसे ही पांच महीने हो जाते है इसमें फूल आने शुरू हो जाते है. प्रतिरोपित फसल के रूप में इसकी बेहतर खेती होती है. इसकी बेहतर पैदावार के लिए सही बीजो का चयन बहुत ही जरूरी हो जाता है. इसको नींबू घास की खेती के नाम से भी जाना जाता है. इसके लिए निराई और गुड़ाई महत्वपूर्ण है. विजेंद्र ने खुद तेल निकालने का प्लांट लगा रखा है.

यह है लेमन ग्रास

लेमन ग्रास नींबू की खुशबू वाला एक सुंगधित पौधा होता है. इससे तेल निकाला जाता है जिसका साबुन, इत्र, चाय में सुगंध के रूप में प्रयोग होता है. पामा रोजा भी एक सुगंधित पौधा होता है इसकी खुशबू गुलाब की तरह होती है. इत्र, गुलाब, साबुन आदि में इसका प्रयोग किया जाता है. दोनों फसलों से निकलने वाले तेल की कीमत स्थानीय बाजार में प्रति लीटर 1500 से 2000 के मध्य होती है.

English Summary: Farmer earning bumper profits by cultivating lemon grass Published on: 19 August 2019, 04:35 PM IST

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