केले की खेती हमारे देश के किसानों के द्वारा बड़े पैमाने पर की जाती है. यह एक ऐसा फल हैं, जिसे लगभग हर एक लोगों के द्वारा खाया जाता है. इसी के चलते बाजार में इसकी मांग भी अधिक होती है. केला का इस्तेमाल कई तरह के उत्पादों को बनाने के लिए भी किया जाता है. जैसे कि केले के चिप्स, केले की सब्जी आदि. अगर आप केले की खेती करने जा रहे हैं, तो आपको इस फसल के रोग व कीटों के बारे में अवश्य पता होना चाहिए. वहीं अगर आप इसकी समय रहते पहचान नहीं कर पाते हैं, तो यह केले की पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं.
बता दें कि केले की फसल में लगने वाले कई तरह के खतरनाक रोग हैं, जो कम समय में ही इसकी पूरी फसल को खराब कर सकते हैं. इन्हीं में से एक सिगाटोका रोग है, जो केले की फसल मुख्य रूप से लगता है. आइए ऐसे ही रोग जो केले की फसल में लगते हैं इसके बारे में जानते है-
केले की फसल में लगने वाले रोग व कीट
केले की फसल में सिगाटोका रोग सबसे अधिक लगते हैं. यह रोग दो तरह का होता है. एक काला सिगाटोका और दूसरा पीला सिगाटोका होता है. इन दोनों ही रोगों के चलते केले के पत्ते पर कत्थई व पीले होने लगते हैं.
काला सिगाटोका रोग- इस रोग के चलते केले की फसल में फफूंद लगने लगती है और साथ ही कत्थई रंग भी पड़ने लगता है. इसके अलावा इस रोग के होने से केले के पत्तियों के निचले हिस्से पर काला धब्बा, धारीदार लाइन आदि कई तरह के लक्षण दिखने लगते हैं.
वहीं, केले की फसल में पत्ती बीटिल (बनाना बीटिल), तना बीटिल आदि कीट भी लगते हैं, जो फसल को कुछ ही दिनों में खराब कर देते हैं.
केले की फसल को रोग से बचाने के उपाय
केले की फसल को इन रोगों से बचाने के लिए खेत से खरपतवार को हटाएं.
केले के खेत को साफ-सुथरा रखें.
खेत में रोगों के प्रतिरोधी किस्म को अवश्य लगाएं.
इसके अलावा खेत की मिट्टी का उपचार करें. इसके लिए आप अपने खेत में जैव कीटनासी, ट्राइकोडर्मा विरीडी एक किलोग्राम 25 किलोग्राम गोबर खाद को अच्छे से मिलाकर डाल दें.
साथ ही खेत में रासायनिक फफूंदनाशी कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, मैंकोजेब और थायोफिनेट मिथाइल का भी छिड़काव करें.
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फसल को कीट से बचाने के लिए मिथाइल ओ-डीमेटान 25 ईसी 1.25 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करें.
इसके अलावा फसल को कीट से बचाने के लिए कार्बोफ्यूरान अथवा फोरेट या थिमेट 10 जी दानेदार कीटनाशी प्रति पौधा 25 ग्राम इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
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