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Dill Crop: सुवा/सोवा की फसल छाछया रोग, चैम्पा रोग से हो जाती है बर्बाद, ऐसे करें रोग उपचार और प्रबंधन

अगर आप सोवा की खेती करते हैं तो ऐसे में आपको इसमें लगने वाले रोग और उनके उपचार व प्रबंधन के बारे में भी पता होना चाहिए...

राशि श्रीवास्तव
सोवा खेतीः रोग उपचार व प्रबंधन
सोवा खेतीः रोग उपचार व प्रबंधन

सुवा/सोवा की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है. मध्यप्रदेशउत्तरप्रदेशराज्यस्थान में किसान सुवा की ज्यादा खेती करते हैं. लेकिन सुवा की खेती की अच्छी पैदावार पाने के लिए और खेती का सही तरीका अपनाने के लिए रख-रखाव और खाद उर्वरक का भी ध्यान रखना होता है.  ऐसे में जानते हैं सुवा की खेती के लिए क्या है जरुरी.

सुवा/सोवा की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक 

फसल के लिए 10-15 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर खेत में पहली जुताई के समय डालनी चाहिए. बुवाई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 30 किलोग्राम फ़ॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर डालनी चाहिए. फिर सिंचित फसल में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन बुवाई के 30 से 45 दिन बाद छिड़क कर सिंचाई के साथ देंअच्छी फसल के लिए उपरोक्त गोबर की खाद के अतरिक्त कुल 40 किलोग्राम नाइट्रोजन एवं 30 किलोग्राम फ़ॉस्फोरस की जरुरत होती है गोबर की खाद न होने पर नाइट्रोजन की मात्रा 40 किलो की बजाए 90 किलो प्रति हेक्टेयर देनी चाहिए.

सुवा/सोवा की खेती के लिए निराई-गुड़ाई 

शुरू में सुवा की पैदावार धीमी होती हैसिंचित फसल में शुरू में कम अंतराल से सिंचाई करने से खरपतवार अधिक निकलते हैं यदि समय पर खरपतवार न निकाले तो फसल खरपतवार से दब जाती है. इसलिए बुवाई के 20 -25 दिन बाद हल्की खुरपी चलाकर निकाल दे इस समय पौधे बहुत छोटे होते हैं. खुरपी चलाते समय सावधानी रखें पहली निराई-गुड़ाई के एक माह बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करें. 

सुवा/सोवा की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट और रोकथाम  

छाछया रोग: 

रोकथाम के लिए फसल पर 15-25 किलो गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें या केराथेन एलसीके 0.1 प्रतिशत घोल का 500-700 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें जरुरत पर 10-15 दिन के बाद छिड़काव करें. 

दीमक रोग: 

सिंचित फसल में दीमक की रोकथाम के लिए पानी के साथ ओल्ड्रिन दवा 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से दे सकते हैं. अंसिंचित फसल को दीमक से बचाने के लिए खेत में आखिरी जुताई से पहले 20 किलो बीएससी पाउडर डालें.  

चैम्पा रोग: 

रोकथाम के लिए फसल पर फ़ॉस्फोमिडान (85 ईसी) 250 मिली या मिथाइल डिमेटान (25 ईसी) एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 400-500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. जरुरत पर छिड़काव को 10 -15 दिन बाद दोहरायें. 

कटाई और औसाई: 

सुवा करीब 150-160 दिन में पककर तैयार होती है. मुख्य छात्रकों के दानों का रंग जैसे ही भूरा होने लग जाता है फसल को काट लेना चाहिए कटाई में देरी करने पर दानों के छिटकने का डर होता है. फसल को हंसिया से काटकर खलिहान में सुखाएँ. खलिहान में 7-10 दिन तक सुखाने के बाद पौधों को डंडे से पीटकर बीजों को अलग करें. फिर उनको हवा के सामने बरसा कर या फाटक कर साफ कर लें. फिर साफ बीजों को बोरियों में भर लें.

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उपज एवं भण्डारण:

सुवा की खेती की उपज लगभग 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल जाती है. सुवा के बीजों का भंडारण ऐसे गोदामों में करें जहां नमी बिल्कुल न हो. नमी से बीज खराब हो जाते हैं. 

English Summary: Dill cultivation is ruined by these diseases, how to treat and manage the disease Published on: 12 January 2023, 05:23 PM IST

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