किसान रबी फसलों की कटाई के बाद मूंग की बुवाई कर सकते हैं. इस दलहनी फसल की बुवाई करने से खेत को लगभग 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर मिलता है जो फसल उत्पादन के लिए अच्छा है. किसान ग्रीष्म मूंग की खेती चना, गेहूं, सरसों, आलू, मटर आदि फसलों की कटाई के बाद खाली हुए खेतों में कर सकते हैं. आज हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि किसान मूंग की उन्नत खेती कर किस तरह दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं. हम आपको मूंग बुवाई (moong cultivation) से लेकर उसके भंडारण तक की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं. इसके साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि किस तरह कुछ बातों का ध्यान रखकर आप मूंग की खेती में फसल उत्पादन (crop production) बढ़ा सकते हैं.
मूंग की बुवाई का समय (moong sowing)
किसान मूंग की बुवाई जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह में कर सकते हैं. ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई मार्च के बीच में कर देनी चाहिए. अगर किसान बुवाई में देरी करते हैं तो इससे उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. ऐसा करने पर फूल आने के दौरान तापमान अधिक होने पर फलियां नहीं बनती हैं या कम बनती हैं जिसका असर उत्पादन पर पड़ता है.
मूंग की खेती के लिए जलवायु (Climate for Moong Cultivation)
मूंग की खेती में नम एंव गर्म जलवायु की जरूरत होती है. पौधों की बढ़ोतरी और विकास के लिए 20-32°C तक का तापमान अनुकूल होता है. इसकी खेती के लिए 70-90 सेमी.वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त माने गए हैं.
खेत की तैयारी (Farm preparation)
खरीफ़ फसल के तहत किसानों को एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से कर देनी चाहिए. साथ ही बारिश के शुरुआती दौर में ही 3 बार देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई करनी चाहिए और बाद में खेत में पाटा चलाकर उसे समतल करना चाहिए. इस खेत की तैयारी में क्लोरपायरीफॉस 1.5 फीसदी चूर्ण 20-25 कि.ग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में मिलाएं जिससे दीमक लगने की समस्या से छुटकारा मिल सके.
वहीं ग्रीष्मकालीन मूंग के तहत खेत की जुताई कर 3 से 5 दिन बाद पलेवा करें और उसके बाद देसी हल या कल्टीवेटर से 2 से 3 जुताई कर पाटा लगाएं और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं. खेती के लिए दोमट भूमि जिसका पी.एच. मान 7 से 7.5 हो, अच्छी मानी गयी है.
मूंग की खेती में बीजोपचार (Seed treatment in moong cultivation)
बुवाई करने से पहले बीजोपचार बहुत जरूरी है. इसके लिए बीज को कार्बेन्डाजिम + केप्टान (1 + 2) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. बाद में उपचारित बीज को राईजोबियम कल्चर से शोधित करें. अब बीज को छाया में सुखाकर खेत में बो दें.
बीज की मात्रा (Seed quantity)
आपको बता दें कि किसान जायद सीजन में प्रति हैक्टेयर 25 से 30 किलोग्राम बीज की बुवाई करें और अगर खरीफ़ सीजन है तो, प्रति हैक्टेयर 15 से 20 किलो बीज की बुवाई करें.
बुवाई की विधि (Sowing method)
मूंग की खेती में अच्छा उत्पादन लेने के लिए हल के पीछे पंक्तियों या कतारों में बुवाई करें. आपको बता दें कि खरीफ़ फसल के लिए कतार से कतार की दूरी लगभग 30 से 40 सेमी. होनी चाहिए और ग्रीष्मकाल के लिए 20 से 22 सेमी. दूरी होनी चाहिए. वहीं पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेमी. रखनी चाहिए.
खाद और उर्वरक का इस्तेमाल (Manure and fertilizer use)
मूंग की खेती में लगभग 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 से 40 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20 किलोग्राम जिंक प्रति हैक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. किसान नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए लगभग 100 किलोग्राम डीएपी का प्रति हैक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. उर्वरक का इस्तेमाल फर्टीसीड ड्रिल या हल के पीछे चागा लगागर कूड़ों में बीज से लगभग 2-3 सेमी. नीचे दें.
सिंचाई और जल निकास (Irrigation and drainage)
आपको बता दें कि मूंग की फसल को ग्रीष्म ऋतु में 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई की जरूरत होती है. फलियां बनते समय एक हल्की सिंचाई भी जरूर करें. फसल पकने के 15 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर दें. बारिश के मौसम में खेत में पानी का भराव न होने दें.
मूंग की कटाई (Moong harvesting)
आमतौर पर मूंग की फसल 65 से लेकर 90 दिन में पक जाती हैं लेकिन फसल पकने का समय अलग-अलग किस्मों पर भी निर्भर करता है. जुलाई में बोई गई फसल सितम्बर या अक्टूबर के पहले सप्ताह तक कट जाती है. वहीं फरवरी-मार्च में बोई गई फसल मई में तैयार हो जाती है. जब मूंग की फलियां हल्के भूरे या काले रंग की दिखने लगें, तो किसान फसल कटाई कर सकते हैं. कटाई से पहले फलियों की तुड़ाई हरे से काले रंग की अवस्था में आने तक 2-3 बार कर लें.
पैदावार और भण्डारण (Production and storage)
मूंग की उन्नत खेती में किसान औसतन 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन ले सकता है. वहीं मूंग का भण्डारण करने से पहले उसे धूप में अच्छी तरह से सुखा लें. सूखने के बाद जब नमी की मात्रा 10 फीसदी रह जाए, तभी उसे भंडारित करें.
सुझाव: मूंग का अधिक उत्पादन लेने के लिए इन बातों का ध्यान रखें
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बुवाई के लिए किसान केवल प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें.
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अपने क्षेत्र के मुताबिक ही किस्मों का चुनाव करें जिससे नुकसान न हो और अधिक उत्पादन मिले.
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बुवाई सही समय पर करनी चाहिए. अगर किसान देर से बुवाई करते हैं तो इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा.
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बुवाई से पहले बीजोपचार जरूर करें. इससे फसल को बीज और मिट्टी जनित बीमारियों से बचाया जा सकता है.
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मृदा परीक्षण के मुताबिक ही उर्वरक का इस्तेमाल करें.
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समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण करें.
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