भारत में औषधीय पौधों की बहुत महत्वता है. यहाँ पर औषधीय पौधों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. भारत से औषधीय पौधों का निर्यात भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है. ऐसे में किसान की रुचि औषधीय खेती की तरफ बढ़ रही है
औषधीय पौधों के उपयोग की बात करें तो इसका उपयोग इत्र, साबुन और कीटनाशक समेत कई प्रकार की औषधीय दवा एवं विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पाद बनाने में किया जाता है. इसके साथ ही सरकार भी इन औषधीय पौधों की खेती को काफी बढ़ावा दे रही है.
इसी के मद्देनजर आज हम आपको एक ऐसी औषधीय पौधों की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी. औषधीय पौधों की खेती की बात करें तो सर्पगंधा (Sarpgandha ) सबसे अच्छा और बेहतर विकल्प है, जिसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
बता दें कि सर्पगंधा एक ऐसा औषधीय पौधा है जो कई प्रकार के रोगों से निजात दिला सकता है. तो आइये जानते हैं कि सर्पगंधा की खेती कैसे करें. सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha cultivation) को आप 3 तरह से कर सकते हैं-
कलम द्वारा खेती (Cultivation By Stalk)
सर्पगंधा की खेती आप कलम द्वारा भी कर सकते हैं. इस प्रकार की खेती करने के लिए आपको इसके पौधे की तने से एक कलम काट लेनी है उसके बाद इस कलम को एन्डोल एसिटिक एसिड (endole acetic acid) के घोल में 12 घंटे तक डुबोकर रख दें. इसके बाद इसकी बुवाई कर दें.
जड़ों के द्वारा खेती (Cultivation With Roots)
सर्पगंधा की खेती की दूसरी प्रक्रिया है, इसकी जड़ों द्वारा खेती करने की प्रक्रिया. इसमें आपको इसकी जड़ों को लेकर एक पॉलीथीन में रेत और मिट्टी को मिलाकर कर भर दें. इसके बाद इस पॉलीथीन भरी मिटटी में सर्पगंध की जड़ को लाग दें. इस तरह से इसकी खेती कर सकते हैं.
बीजों के द्वारा खेती (Cultivation By Seeds)
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आप सर्पगंधा की खेती बीजों द्वारा भी कर सकते हैं. इसके लिए सबसे जरुरी है पहले आप इसकी खेती के लिए अच्छे बीजों का चयन करें. उसके बाद इन बीजों को कुछ देर के लिए पानी में डुबोकर रख दें. डूबे हुए पानी में जो बीज नीचे पानी की सतह में रह जाते हैं, उनको बुवाई के लिए उपयोग में ले सकते हैं.
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बता दें इस औषधीय पौधों की खेती कर किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसमें लागत भी कम लगेगी और पैदावार भी ज्यादा मिलती है.
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ऐसे ही औषधीय पौधों की खेती की जानकारी जानने के लिए जुड़े रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल से.
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