हमारे भारत देश में खीरे का अपना एक अलग ही महत्व है. खीरे का उत्पादन पूरे देश भर में किया जाता है. गर्मियों में खासकर इसकी मांग बहुत ही ज्यादा रहती है. किसान इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में उगा सकते हैं. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, इस गर्मी के समय में बाजार में इसकी मांग बहुत ज्यादा रहती है, ऐसे में हमारे किसान भाई इसकी खेती कर काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसे अन्य कई नाम जैसे कि काकाडी, कक्डी, तार, ककरिकार और डोकाकाया के नाम से भी जाना जाता है.
मिट्टी
खीरे की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. इस फसल को पूरी तरह से पकने में 80 से 90 दिन तक का समय लग जाता है.
सिंचाई
गर्मी के समय खीरे के पौधो में ज्यादा सिंचाई की करने की आवश्यकता होती है. बारिश के मौसम में तो बिल्कुल ही सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है. एक सीजन में खीरे के पौधों को कुल 10 से 12 बार सिंचाइ की जरुरत होती है.
निराई-गुड़ाई
इसके अच्छे उत्पादन के लिए समय-समय पर खर-पतवार हटाते रहना चाहिए. ग्रीष्मकाल के दौरान फसल को 15 से 20 दिन के अंतराल पर 3 से 4 बार गुड़ाई कर देनी चाहिए वहीं वर्षा ऋतु में फसल को 15 से 20 के अंतराल पर 4-5 बार निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए.
कमाई
अगर आप अच्छे से इसकी खेती करते हैं तो एक एकड़ के खेत में लगभग 400 क्विंटल तक खीरे का उत्पादन कर सकते हैं. खीरे की खेती से आप प्रति सीजन आराम से लगभग 80 हजार से एक लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं.
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लाभ
खीरा स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. अगर आपके शरीर में पानी की कमी महसूस होती है तो इसका सेवन जरूर करें. इसके अलावा अगर आपको डायबिटीज, हृदय रोग, हड्डियों में कमजोरी और बाल गिरने की समस्याएं हैं तो आपको खीरे का सेवन जरुर करना चाहिए. इसके अलावा हाइड्रेशन के दौरान, आंतों के स्वास्थ्य के लिए, कब्ज की समस्या से बचने और किडनी को पथरी से बचाने के लिए इसका सेवन जरूर किया जाना चाहिए.
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