मक्के को अनाज और पशुओं के चारे के लिए उपयोग किया जाता है. इसे अनाज की रानी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है. मक्के में मैग्नीशियम, पोटैशियम और स्टार्च भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के साथ-साथ ह्रदय को भी स्वस्थ बनाए रखता है.
भारत में रंगीन मक्के की खेती पिछले 3 हज़ार साल से की जा रही है और तब से यह हमारे खान-पान का हिस्सा रहा है. भारत के यह मिज़ोरम राज्य में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. रंगीन बाजरे की खेती यहां के स्थानीय लोग काफी वर्षों से करते आ रहें हैं. मक्का लाल, नीले, बैंगनी और काले रंगों में उगाया जाता है. इसमें मौजूद फेनोलिक और एंथोसायनिन तत्व की वजह से मक्का विभिन्न रंगों में फलता है. लाल मक्के में एंथोसायनिन वर्णक मौजूद होता है, जो इसको अलग-अलग रंग देता है. मैजेंटा रंग पौधे में मौजूद एंथोसायनिन वर्णक के कारण होता है.
रंगीन मक्के की खेती का तरीका
तापमान
मक्के की फसल के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उचित होता है. इसकी पैदावार उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में काफी अच्छी होती है. पौधों की रोपाई के लिए हल्की नमी की जरुरत होती है.
मिट्टी
मक्के की खेती के लिए सामान्य तौर पर बलुई दोमट की जरुरत होती है. हालांकि यह किसी भी भूमि पर उगाया जा सकते हैं लेकिन याद रखें कि उस भूमि की जल की निकासी अच्छी होनी चाहिए और मिट्टी की लवणीय और क्षारीय गुण एक संतुलित मात्रा में हो.
रोपाई
मक्के के बीजों को खेतों में लगाने से पूर्व खेत में अच्छी तरह 2 से 3 बार गहरी जुताई कर देनी चाहिए और खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ देना चाहिए. इस दौरान खेतों में 7 से 8 टन गोबर की खाद डाल देनी चाहिए और फिर एक बार खेत को जोत देना चाहिए. इसके बाद बीजों की रोपाई कर देनी चाहिए. बता दें कि मक्के की सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर रखने के लिए समय-समय पर नाइट्रोजन और जिंक सल्फेट का छिड़काव करना चाहिए. मक्के के बीज को सीड ड्रिल विधि से भी बोया जा सकता है, दो बीजों के बीच की दूरी 75 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए. इस हिसाब से आप एक एकड़ के खेत में लगभग 22,000 पौधों को उगा सकते हैं.
सिंचाई
मक्के की फसल के लिए 450 से 650 मिमी पानी की आवश्यकता होती है. सिंचाई के कुछ दिन बाद ही बीजों की रोपाई कर देनी चाहिए और जब पौधों में दाने लगने लगे तो इसकी सिंचाई कर देनी चाहिए. इसके अलावा फसल को खरपतवार से भी बचाने के लिए समय-समय पर खेतों की निराई और गुड़ाई करते रहना चाहिए.
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पैदावार
मक्के की कटाई के बाद इसकी गुड़ाई की जाती है, जिसमे इसके दानो को निकाला जाता है. दानों को निकालने के लिए सेलर मशीन का उपयोग होता है. थ्रेशर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. कटाई के बाद मक्के को खूब अच्छी तरह से धूप में सूखा कर भंडारित कर लें. एक हेक्टेयर खेत में मक्के की 35 से 55 क्विंटल की पैदावार होती है. इसकी बाजार में कीमत 3 से 4 हजार रुपए प्रति कुतंल है. किसान भाई इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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