गेहूं भारत में प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है, जिसकी खेती मुख्य रूप से भारत के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, एमपी, राजस्थान, बिहार और गुजरात जैसे कई राज्यों में की जाती है. किसानों की अच्छी आमदनी और गेहूं की अच्छी पैदावर के लिए जरुरी है गेहूं की खेती को सही प्रकार से की जाए. तो आइये जानते हैं गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए इन बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
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सबसे पहले बात करते हैं गेहूं की अच्छी किस्मों का चयन कैसे किया जाए. यदि आप गेहूं की उन्नत किस्मों (Improved Varieties Of Wheat) का चयन कर उनकी खेती करते हैं तो आपको गेहूं की अच्छी और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे. गेहूं की उन्नत किस्में निम्न प्रकार है. एच.डी. 2932, पूसा 111, डी.एल. 788-2 विदिशा, पूसा अहिल्या, एचआई 1634, जे.डब्ल्यू. 1202, जे.डब्ल्यू. 1203, एम.पी. 3336, राज. 4238 इत्यादि.
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इसके बाद गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) के लिय क्यारियों का निर्माण करना किसानों के लिए आवश्यक है. तभी उसकी अच्छी पैदावार और गुणवत्ता उभर कर आ सकेगी .आपको बता दें गेहूं की खेत में दोनों ओर से आड़ी तथा खड़ी नालियाँ सिंचाई के तौर पर बनाएं. वहीँ क्यारियों की दूरी 15-20 मीटर पर होनी चाहिए.
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गेहूं का अधिक उत्पादन पाने के लिए सही मात्रा में उर्वरक देना चाहिए. गेहूं के लिए सामान्यत: नाईट्रोजन, सल्फर व पोटाश-4:2:1 के अनुपात में देना चाहिए. असिंचित खेती में 40:20:10, सीमित सिंचाई में 60:30:15 या 80:40:20, सिंचित खेती में 120:60:30 तथा देर से बुवाई में 100:50:25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के अनुपात में उर्वरक दें.
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इसके बाद खेत के उतने ही हिस्से में यूरिया का छिडकाव करें, जितने में उसी दिन सिंचाई दे सकें. ध्यान रखें जहाँ तक संभव हो यूरिया बराबर से फैलायें, और यदि खेत पूर्ण समतल नहीं है तो यूरिया का छिड़काव सिंचाई के बाद करें.
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जब फसल में बालियाँ निकलने लगे तो बालियाँ निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें अन्यथा फूल झड़ जाते हैं, और ऐसे में फसल में झुलसा रोग होने की सम्भावना रहती है.
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यादी आपके गेहूं की फसल में पाले की संभावना दिखाई देर रही है. तो इससे बचाव के लिए फसलों में स्प्रिंकलर की सहायता से हल्की सिंचाई करें, थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें अथवा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव कर सकते हैं.
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