सिट्रोनेला एक बहुवर्षीय ‘एरोमेटिक’ यानी सुगंधित घास है, इसकी पत्तियों से सुगंधित तेल निकाला जाता है. ये कम लागत में ज्यादा मुनाफ़ा देने वाली एक ऐसी व्यावसायिक फसल है जो भूमि सुधारक की भूमिका भी निभाती है, इस फसल में कीट और बीमारियों का प्रकोप बहुत कम होता है, सिट्रोनेला की घास से औसतन 1.2 % सुगन्धित तेल मिलता है. सिट्रोनेला की फसल एक बार लगाने के बाद 5 साल तक घास की अच्छी पैदावार होती है. हालांकि बाद में तेल की मात्रा कम हो जाती है. औद्योगिक और घरेलू इस्तेमाल के कारण सिट्रोनेला ऑयल की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. सिट्रोनेला के तेल में मौजूद विभिन्न घटकों का उपयोग कॉस्मेटिक उद्योग में, व्यंजनों में फ्लेवरिंग ऐड-ऑन के रूप में, दुनिया भर में इत्र के उद्योग में किया जाता है. इसलिए इसकी खेती मुनाफे का सौदा है.
मिट्टी- सिट्रोनेला की खेती के लिए 6 से 7.5 pH मान वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना गया है. लेकिन इसे 5.8 तक pH मान वाली अम्लीय मिट्टी और 8.5 तक pH मान वाली क्षारीय मिट्टी वाले खेतों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.
जलवायु- सिट्रोनेला के लिए समशीतोष्ण और उष्ण जलवायु बेहतर होती है. सिट्रोनेला की खेती के लिए 9 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान उपयुक्त माना गया है. हर साल 200 से ढाई सौ सेंटीमीटर बारिश और 70 से 80% आर्द्रता वाले क्षेत्रों में फसल को सफलतापूर्वक उगा सकते हैं.
खेत की तैयारी- 2-3 बार आड़ी-तिरछी (क्रॉस) और गहरी जुताई करनी चाहिए, इसमें जुताई के समय ही प्रति हेक्टेयर 20 से 25 टन अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद और कम्पोस्ट डालनी चाहिए. फसल को दीमक से बचाने के लिए आखिरी जुताई के समय खेत में प्रति हेक्टेयर 2% मिथाइल पेराथियान पाउडर की करीब 20 किलोग्राम मात्रा बिखेरनी चाहिए. इसके अलावा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (NPK) की क्रमश: 160, 50, 50 किलोग्राम मात्रा भी प्रति हेक्टेयर डालनी चाहिए.
बुवाई- सिट्रोनेला की बुआई के लिए जूलाई-अगस्त और फरवरी-मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है. स्लिप्स को 5 से 8 इंच गहरा लगाया जान चाहिए और पौधों से पौधों के बीज की दूरी 60 x 45 सेंटीमीटर रखना चाहिए, बुवाई के बाद खेत मे पानी छोड़ दें, लेकिन ध्यान रहे कि खेत में जल भराव न हो, बुवाई से लगभग 2 सप्ताह के भीतर स्लिप्स से पत्तियां निकलनी शुरू हो जाती हैं.
सिंचाई- सिट्रोनेला की प्रकृति शाकीय है, इसकी जड़ें ज़्यादा गहरी नहीं होतीं इसीलिए इसे सालाना 10-12 सिंचाई की ज़रूरत होती है. गर्मी में 10-15 दिनों में और सर्दियों में 20-30 दिनों बाद सिंचाई लाभदायक है. वैसे सिंचाई का नाता मिट्टी की प्रकृति से भी होता है इसीलिए बारिश के दिनों में सिंचाई नहीं करें और खेत को जल भराव से बचाते रहें.
ये भी पढ़ेंः चारे से तेल निकालकर कमा रहे है लाखों रूपये
उपज और कमाई- सिट्रोनेला की खेती से एक साल में लगभग डेढ़ सौ से ढाई सौ किलो प्रति हेक्टेयर सुगंधित तेल की उपज मिलती है. जिससे पहले साल में 80 हजार प्रति हेक्टेयर तक का लाभ मिलता है. जबकि आने वाले सालों में लाभ की मात्रा लगभग दोगनी या उससे ज्यादा भी हो सकती है.
Share your comments