कंटोला एक ऐसी सब्जी है, जिसकी सब्जी के अलावा इसके जड़ और पत्तियों का भी सेवन किया जाता है. इसका सेवन हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. कंटोला के तने में बहुत से औषधीय गुण होते हैं, जिसका उपयोग दवाईयां बनाने में भी किया जाता है. आज हम इस लेख के माध्यम से आपको कंटोला में लगने वाले रोग और इसके बचाव के तरीको के बारे में बताने जा रहे हैं.
कंटोला में लगने वाले रोगों
मिल्ड्यू रोग
यह फंगल के माध्यम से होने वाला रोग है. इसके संक्रमण से पौधे की पत्तियां सफेद रंग की हो जाती है और यह धीरे-धीरे पाउडर जैसा दिखने लगता है. इस संक्रमण ज्यादा होने पर पत्तियां गहरे पीले रंग की होकर गिरने लगती हैं.
रस्ट रोग
रस्ट भी एक कवकीय रोग है. इस रोग के कारण पौधों की पत्तियों पर गहर पीले रंग के धब्बे बन जाते हैं और संक्रमण बढ़ने के साथ धब्बे बड़े होकर पूरे पौधे में फैल जाते हैं. यह धब्बे लाल, ब्राउन और पीले रंग के होते हैं.
रूट रॉट
रूट रॉट कंटोला में पाया जाने वाला एक बैक्टीरियल संक्रमण होता है. यह जीवाणु पौधों की जड़ों को प्रभावित करता है. यह जीवाणु पौधों में अत्यधिक गीली मिट्टी या खराब जल निकासी के कारण पैदा हो जाता हैं. रूट रॉट के संक्रमण से पौधा मुरझाकर गिरने लगता है और जड़े सड़ने लगती हैं.
प्लांट लीफ स्पॉट रोग
प्लांट लीफ स्पॉट रोग एक फंगल रोग है, जो कंटोला के फल को नुकसान पहंचाता हैं. यह सब्जियों सहित पौधे के सभी हिस्से क प्रभावित करता है. यह रोग पौधे की पत्तियों से शुरु होकर पूरे हिस्से तक फैल जाता है.
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ब्लाइट रोग
ब्लाइट कंटोल के पौधे में होने वाली एक बहुत ही गंभीर बीमारी है, इस जीवाणु के लगने से पौधे कमजोर होकर मुरझा जाते हैं और इनकी बढ़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है. इससे बचाव के लिए पौधे की जड़ो पर नीमयक्त जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए.
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