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बायोफोर्टिफाइड गेहूँ किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के दक्षिण में स्थित डिपार्टमेंट आफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रिन्डिंग ने बायोफोर्टिफाइड गेहूँ की नई प्रजाति तैयार कि है. यह गेहूँ की प्रजाति छोटे और माध्यम किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी। गेहूँ की यह प्रजाति केवल उत्पादकता के लिहाज से ही नहीं बल्कि पौष्टिकता के मापन पर भी सोने की तरह ही खरा उतरेगी। इसका उपयोग करके किसान अपनी आमदनी को भी बढ़ा सकता है. अभि गेहूं का बीज तैयार किया जा रहा है जिसे छोटे किसान अपने कम रकबे में भी तैयार कर सकते हैं।

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के दक्षिण में स्थित डिपार्टमेंट आफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रिन्डिंग ने बायोफोर्टिफाइड गेहूँ की नई प्रजाति तैयार कि है. यह गेहूँ की प्रजाति छोटे और माध्यम किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी। गेहूँ की यह प्रजाति केवल उत्पादकता के लिहाज से ही नहीं बल्कि पौष्टिकता के मापन पर भी सोने की तरह ही खरा उतरेगी। इसका उपयोग करके किसान अपनी आमदनी को भी बढ़ा सकता है. अभि गेहूं का बीज तैयार किया जा रहा है जिसे छोटे किसान अपने कम रकबे में भी तैयार कर सकते हैं।

बता दे की बनारस के ज्यादातर किसान छोटे और माध्यम श्रेणी में अंतर्गत आते है. इन सभी किसानो को काम जोत ज्यादा उत्पादन होने वाले बीज की आवश्यकता होती है. बीएचयू के डिपार्टमेंट आफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रिन्डिंग द्वारा बायोफोर्टिफाइड गेहूं की नई किस्म का विकसित कि गई है। बरहाल अभी गेहूँ की इस प्रजाति का परीक्षण चल रहा है. यह गेहूँ कि प्रजाति अन्य गेहूँ की के मुकाबले उत्पादन और खाद्य सुरक्षा के लिहाज से भि बेहतर है. इस प्रजाति के गेहूं में लौह अयस्क मात्रा मे भी अन्य प्रजातियों के गेहूं से 40 फ़ीसदी ज़्यादा है. गत दिनों में बिल मारिया गेट्स फाउंडेशन के मारिया बायल, उनके प्रतिनिधि विजय कुमार ने मिर्जापुर व वाराणसी जिले का दौरा किया। हार्वेस्ट प्लस योजना के अंतर्गत इस गेहूँ की प्रगति के बारे में भी जाना। वे किसानो के बाच गए और इसके लोकप्रियता के बारे में भी जाना।

डा. रमेश चंद्र ने जानकारी दी की मिर्जापुर जिले में ज्यादातर महिलाये और बच्चे खून की जैसे बीमारी से ग्रषित है बायोफोर्टिफाइड गेहूं से इस समस्या के निजात मिलेगा। कयोंकि इसमें जिंक और लोहे की मात्रा बहुत ज्यादा है. इस गेहू की बनी रोटी भी अन्य गेहूँ की रोटी जे अपेक्षा ज्यादा स्वाद और पौष्टिक होगी। सहप्रभारी के अनुसार इस परियोजना से सबसे ज्यादा फायदा जिले के उन किसानों को होगा कम रकबे में गेहूं की खेती करते हैं क्योंकि इसकी मांग विदेशों में  हो रही है. बायोफोर्टिफाइड गेहूं जनपद के छोटे व मध्यम किसानों के लिए वरदान साबित होगा। यह जिंक व आयरन की गुणवत्ता से भरपूर है। इसका उत्पादन भी बेहतर है।

डा. वी.के मिश्रा, प्रोजेक्ट प्रभारी, इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चरल साइंस

English Summary: Biofortified wheat is not less than any boon for farmers Published on: 06 November 2018, 10:16 AM IST

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