भांग जिसे हम अक्सर त्योहार में खाते हैं या फिर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त उन्हें पूजा के रूप में चढ़ाते हैं. भांग का इस्तेमाल कई तरह के कार्य के लिए भी किया जाता है, इसे दवा और नशीले पदार्थ भी बनाए जाते हैं.
देखा जाए तो भारत के विभिन्न इलाकों में किसान इसकी खेती करके अच्छा लाभ कमा रहे हैं. जहां पहले इसकी खेती कुछ स्थानों तक ही सीमित थी. वहीं अब इसे अन्य राज्यों में भी धीरे-धीरे किया जा रहा है. राज्य सरकार भी इस खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है.
हिमाचल में भांग की खेती (Cultivation of Cannabis in Himachal)
हिमाचल के किसानों को सेब की खेती के लिए जाना जाता है. लेकिन अब से यहां के किसानों को सेब ही नहीं बल्कि भांग की खेती (Bhang Ki Kheti) के लिए भी जाना जाएगा. दरअसल, हिमाचल सरकार ने भांग की खेती को वैध बनाने का निर्णय लिया है. इसकी खेती के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने सालाना 1000 करोड़ रुपए का राजस्व का लक्ष्य रखा है. यानी की अनुमान है कि अगर राज्य में किसानों के द्वारा भांग की खेती की जाए तो सरकार को साल भर में करीब 1000 करोड़ रुपए तक कमाई हो सकती है. क्योंकि अब राज्य में इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. भांग की खेती करने से किसानों को तो लाभ मिलेगी ही और साथ ही सरकार को भी लाभ प्राप्त होगा. आइए भांग की खेती (Cannabis cultivation) से जुड़ी बातों को जानते हैं.
कैसे होता है भांग के पौधा (How are cannabis plants)
कुछ लोगों को भांग के पौधों को पहचान ने (Identify Cannabis Plants) में परेशानी आती है कि यह किसी तरह के दिखाई देते हैं. तो घबराएं नहीं आज हम आपको इनकी पहचान के बारे में बताएंगे.
भांग के पौधे (Cannabis plant) लगभग 3 से 8 फुट ऊंचे होते हैं. इसके पौधे के पत्ते एकांतर क्रम में होते हैं. पत्तियां की ऊपरी सिरा 1-3 खंडों में बटा होता है और निचली हिस्सा 3-8 खंडों में युक्त होता है. साथ ही पत्तियों का निचली हिस्सा पत्रवृन्त लंबे होते हैं. हमारे देश में भांग के पौधे या फिर भांग को डोप, वीड, गांजा, मारिजुआना, कैनेबिस आदि नामों से भी जाना जाता है.
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भांग खाने से व्यक्ति का सिर घूमने लगता है और बहुत नींद आने लगती है. यह भी देखा गया है कि भांग का नशा बहुत देर तक व्यक्ति पर चढ़ा रहता है.
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