किसान अनाज की खेती के अलावा अब फूल की खेती (Flower Farming) की तरफ अपना रुझान बढ़ा रहे हैं. जी हाँ, फूलों के बढ़ती मांग के चलते अब किसान फूल की खेती को लेकर काफी जागरूक हो रहे हैं.
फूलों की खेती से किसानों अधिक मुनाफा तो प्राप्त होता ही है, बल्कि इसकी खेती में लागत भी कम लगती है. इसी क्रम में इन दिनों किसान भाई विदेशी किस्म का एक फूल एंथुरियम की खेती (Anthurium cultivation) को लेकर काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. दरअसल, बाज़ार में इस विदेशी फूल की बढ़ती मांग किसानों के लिए काफी लाभदायी साबित हो रही है.
एंथुरियम फूल (Anthurium Flower)
एंथुरियम एक बेहद खूबसूरत और आकर्षक फूल है, लेकिन आपको बता दें कि इसकी खेती सिर्फ फूल के लिए ही नहीं, बल्कि पत्तियों के लिए भी होती है. सुंदर आकार और कई तरह के रंगों में पाए जाने वाले एंथुरियम की खेती पॉलीहाउस (Poly House ) में पूरे साल की जाती है. यह सदाबहार उष्णकटिबंधीय घास का पौधा है.
पश्चिमी घाट में हुई थी शुरुआत एंथुरियम की खेती की (Anthurium Cultivation Was Started In The Western Ghats)
दरअसल, एंथुरियम मूल रूप से अमरीकी पौधा है. इस विदेशी फूल की खेती की शुरुआत फ्रांस और बेल्जियम से हुई थी. इस फूल को पूंछ वाला पौधे (Tail Plant) के नाम से भी जाना जाता है. इस विदेशी किस्म के फूल की खेती भारत में पहले पश्चिमी घाट के किसानों ने शौक के तौर पर उगाया था, लेकिन इस फूल की बढती मांग और अच्छी मूल्य की वजह से इसकी खेती अब वर्तमान में आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में होने लगी है.
एंथुरियम की खेती के लिए जरुरी बातें (Important Things For The Cultivation Of Anthurium)
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एंथुरियम पौधे की खेती पॉलीहाउस खेती के जरिए की जाती है.
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एंथुरियम के पौधे के लिए तापमान 15 से 28 डिग्री के बीच होना चाहिए.
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पॉलीहाउस में एंथुरियम की खेती करने के लिए बेस तैयार करना होता है.
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यह ढाई फुट ऊंचा और 25 फुट लंबा रहे, तो सही माना जाता है. तैयार किए गए बेस पर एक खास तरह की ट्रे लगाई जाती है.
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इन ट्रे में गमलों को रखने के लिए सांचे बने होते हैं.
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एंथुरियम की उगाई के लिए किसी भी प्रकार की मिट्टी अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए.
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रोपाई के तुरंत बाद एंथुरियम के पौधों को पानी देना जरूरी होता है.
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एंथुरियम की खेती में सिंचाई के लिए आरओ का साफ पानी चाहिए होता है, लेकिन गमलों में पानी इकट्ठा न हो पाए, इसका ध्यान रखना पड़ता है.
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वहीं इसकी खेती के लिए दो तरह की खाद की जरूरत होती है. 50 लीटर पानी में 62 किलो कैल्शियम नाइट्रेट, 400 ग्राम अमोनियम नाइट्रेट, 700 ग्राम पोटैशियम और 140 ग्राम आयरन मिलाकर तैयार की जाती है.
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दूसरी खाद के लिए 50 लीटर पानी में 550 ग्राम पोटैशियम, 680 ग्राम मोनो पोटैशियम, 1.12 किलो मैगनिज सल्फेट, 10 ग्राम बोरॉक्स, 4.3 ग्राम जिंक सल्फेट और 56 ग्राम कॉपर सल्फेट की जरूरत होगी.
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दोनों तैयार खाद को 1000 लीटर पानी में मिलकर एंथुरियम के पौधों पर दिया जाता है.
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