आंवला भारतीय मूल का एक महत्वपूर्ण फल है. यह देश के विभिन्न क्षेत्रों में धात्री, आमलकी, अमला, आमलकी और नेल्ली के नाम से जाना जाता है. यह अपने औषधीय एवं पोषक गुणों के कारण जाना जाता है. आंवला का स्वाद तीखा, कसैला, मीठा, कड़वा और खट्टा होता है. यह हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है.
खेती का तरीका
जलवायु
आंवला की खेती के लिए गर्म मौसम उपयुक्त माना जाता है, लेकिन उष्ण जलवायु में भी इसकी खेती की जा सकती है. जुलाई और अगस्त के महीने में अधिक आर्द्रता से आवले की अच्छी खेती होती है. इसके लिए 25 डिग्री तक का तापमान बेहतर होता है.
मिट्टी
आंवला के लिए बलुई भूमि से लेकर चिकनी मिट्टी खेती के लिए उपयोगी होती है. इसके लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 9 बीच अच्छा माना जाता है. इसके लिए ऐसी मिट्टी की आवश्यकता होती है जिसमें पानी की अवशोषण क्षमता अच्छी हो.
सिंचाई
आंवले के पौधे को पानी की कम आवश्यकता होती है. इन पौधों को वर्षा आधारित जल से ही सिंचाई की जरुरत पूरी हो जाती है. बरसता के मौसम में इसे बिल्कुल भी सिंचाई की आवश्यकता नही होती है. गर्मी के समय में 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए.
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भंडारण
आंवले के फलों की अच्छी देखभाल के लिए इस पेटीबंद बाक्स में रखा जाता है. इससे यह खराब भी नहीं होते हैं. आंवले को अरहर के तने से बनी टोकरियों में रखना उचित होता है.
आय
वर्तमान समय में बाजार में आंवले की कीमत 1500 रूपये से लेकर 4000 रूपये प्रति कुंतल तक है. अगर आप एक हेक्टेयर के खेत में इसकी खेती करते हैं तो आपका खर्च 40 से 50 हजार रूपये तक आयेगा और कमाई 2 से 3 लाख रुपये तक आराम से हो सकती है.
उपयोग
आंवला का उपयोग जूस, आंवला पाउडर, अचार, मुरब्बा और चूर्ण बनाने में किया जाता है. इसमे मौजूद विटामिन, मिनरल, और अन्य पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं.
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