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धान की उन्नत किस्में: असिंचित दशा और ऊसर क्षेत्रों के लिए धान की उन्नत प्रजातियां

धान भारत के प्रमुख खाद्य फसलों में से एक फसल है. इतना ही नहीं दुनिया में मक्का के बाद जिस फसल की सबसे ज्यादा बुवाई और उपज प्राप्त की जाती है वो धान ही है. देश के करोड़ों किसान खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं. खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की लगभग पूरे भारत में की जाती है. अगर किसान शुरू से कुछ बातों पर ध्यान दें तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी. ऐसे में आइए जानते हैं धान की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने का तरीका-

विवेक कुमार राय

धान भारत के प्रमुख खाद्य फसलों में से एक फसल है. इतना ही नहीं दुनिया में मक्का के बाद जिस फसल की सबसे ज्यादा बुवाई और उपज प्राप्त की जाती है वो धान ही है. देश के करोड़ों किसान खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं. खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की लगभग पूरे भारत में की जाती है. अगर किसान शुरू से कुछ बातों पर ध्यान दें तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी. ऐसे में आइए जानते हैं धान की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने का तरीका-  

असिंचित दशा में धान की प्रजातियां

असिंचित दशा में धान की कौन-कौन सी प्रजातियां हैं?

  • साकेते-4,

  • नरेन्द्र -97,

  • नरेन्द्र -118,

  • गोविन्द

अनुदान की सुविधा

धान की नर्सरी लगाने पर क्या सिंचाई हेतु अनुदान की सुविधा है?

राजकीय नलकूपों पर धान की नर्सरी डालने पर सिंचाई हेतु पानी की नि:शुल्क व्यवस्था है.

ऊसर क्षेत्रों हेतु धान की प्रजातियां

 ऊसर क्षेत्रों हेतु धान की कौन सी प्रजातियां उपयुक्ता हैं?

  • नरेन्द्र ऊसर धान-2,

  • साकेत-4,

  • सी.एस.आर.-10,

  • मोजा-349

धान में खैरा रोग

धान में खैरा रोग नियन्त्राण हेतु उपचार कैसे करें ?

  • नर्सरी उखाड़ने पर उसे लगाने से पूर्व जिंक सल्फेट के घोल में डुबोई जाय.

  • जिंक सल्फेडट 5 किलोग्राम तथा यूरिया की 20 किलोग्राम मात्रा पानी के साथ मिलकर प्रति हैक्टेंयर छिड़काव किया जाय.

नील हरित शैवाल का प्रयोग

नील हरित शैवाल का प्रयोग धान की फसल में कब करें. यह कहां से प्राप्त होगा?

धान की रोपाई के 4-5 दिन 12.5 किलोग्राम नील हरित शैवाल पानी की उपलब्धता में नील हरित शैवाल को खेत में बिखर दें, 4-5 दिन तक पानी भरा रहे कुछ दिन बाद शैवाल पनपने लगती है इसे कृषि विश्वविद्यलयों से, कृषि विभाग के सम्भागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्रों से तथा विज्ञान एवं प्रोद्योगिक परिषद के बक्शी का तालाब केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं.

रोपाई में देरी

एक माह से अधिक की बेड हो जाने पर रोपाई करने से क्या कुप्रभाव पड़ता हैं?

कल्ले कम निकलते हैं तथा शाखायें कम रह जाती है फलस्वरूप उपज कम मिल पाती है.

पैडी ट्रान्स-प्लान्टर

पैडी ट्रान्स-प्लान्टर कहां से प्राप्त किया जा सकता है, उसके लिये नर्सरी कैसे तैयार की जाती हैं?

  • कृषि विभाग से

  • स्टे‍ट एग्रो के गोदाम से

  • कृषि विश्वविद्यालयों के अभियंत्रण अनुभाग से/ इसके लिये मैट सिस्टम की नर्सरी तैयार की जाती है, जो 90 सेंमी. की चौड़ी पटिटयों में तैयार की जाती है. इसमें धान का अंकुरित बीज बोया जाता है.

झुलसा और झोकां रोग से बचाव

झुलसा और झोकां रोग से बचाव हेतु क्या बीज शोधन से नियत्रंण हो सकता हैं?

2.5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज में मिलाकर बीज शोधन करके उपचार कर सकते हैं.

भूरा फुदका से बचाव

धान की फसल एकाएक जल सी जाती है और अपने आप गिर जाती है यह किस कीड़े या बीमारी के कारण होता है तथा नियत्रंण हेतु उपचार क्या हैं?

भूरा फुदका के कारण जिसे बी.पी.एच. कहते है पौधे के रस चूस लिये जाने पर जड़ तना पत्ती कमजोर हो जाती है और सूखकर भूरे रंग की हो जाती है.

इसके नियत्रंण हेतु प्रति लीटर पानी में डाइक्लोरोबास 1 मिलीलीटर तथा बी.पी;एम.एल. 1 मिली ली. के मिश्रण को मिलाकर पानी के साथ छिड़काव किया जाय.

गंधी एवं सैनिक कीट से बचाव

गंधी एवं सैनिक कीट से बचाव कब और कैसे किया जाय?

फूल आने के बाद जब धान की बालियों में दुग्धावस्था होता इन्डोसल्फान 35 ई.सी. की मात्रा 1/5 लीटर आवश्यक पानी में 700 से 800 लीटर के घोल के माध्य‍म से छिड़काव करें या लिण्डेईन 1.3प्रतिशत की धूल 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर डस्टिंग करें यह प्रात:काल किया जाय.

कीट/रोगनाशक रसायन

कीट/रोग बचाव हेतु क्याट कई प्रकार के कीट/रोगनाशक रसायन एक साथ मिला सकते हैं?

हां, मिल सकते है, परन्तु विकास खण्डो स्तर पर सहायक विकास अधिकारी, (कृषि रक्षा) जिले पर कृषि रक्षा अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी या तहसील स्तर पर कार्यरत उपसम्भासगीय कृषि प्रसार अधिकारी से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं.

अवर्षण की स्थिति में आकस्मिक योजना

अवर्षण की स्थिति में आकस्मिक योजना हेतु कहां से जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं?

कृषि विभाग के जनपद स्तर मण्डल स्तर अथवा राज्यस्तर के अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित करके. कृषि विश्वविद्यालयों के हैल्पलाइन से सहायता ली जा सकती है.

हेल्पलाइन

कृषि विश्वविद्यालयों का हेल्पलाइन फोन नं0 निम्न हैं :-

कानपुर-  0512 - 555666,
कुमारगंज (फैजाबाद) 02578  - 62056,
पन्तनगर 05944 – 33336

English Summary: Advanced varieties of paddy: Advanced species of paddy for irrigated conditions and wet areas Published on: 28 April 2020, 01:10 PM IST

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