किसान अब खेतों के आसपास खाली पड़ी हुई मेढ़ों पर सब्जी और फूल की खेती के सहारे अपनी आय बढ़ा सकते हैं. खेतों में जो भी मेंढ़ खाली पड़ी हुई है उस पर कुछ न कुछ खेती और फल-फूल आदि उगाकर नए विकल्पों को आसानी से अपनाया जा सकता है. दरअसल, मध्य प्रदेश के भिंड में कृषि वैज्ञानिकों ने जुलाई 2017 से ही खाली पड़ी हुई मेंढ़ पर रिसर्च का कार्य शुरू कर दिया था. यह शोध खराब और खाली मेंढ़ों पर शुरू की गई थी. इसके बाद यहां लौकी, भिंडी, सेम, फूल गोभी, पत्ता गोभी, स्ट्राबेरी आदि फसलों की खेती का कार्य तेजी से शुरू किया गया है. इस तरह की तकनीक से मेढ़ों पर एकसाथ दो फसलों की खेती का कार्य शुरू किया गया है. किसानों ने इसके लिए सबसे पहले मेंढ़ पर माचन बनाकर उस पर लौकी की बेलों को चढ़ाया और नीचे मटर, फूल गोभी, स्ट्राबेरी आदि की बहुमंजिला खेती करने का कार्य किया गया है.
खेत में बनता है मंडप
आप अगर किसी भी जगह पॉली हाउस बनाते हैं तो इसको लगाने का खर्चा ही 30 से 40 लाख रूपए आ जाता है लेकिन अगर आप अपने खेत में मंडप लगाते हैं तो केवल एक से दो लाख रूपए ही खर्च आता है. यह मंडप कुल पांच साल या उससे कुछ ज्यादा दिनों तक टिका रह सकता है. इसे बनाने के लिए एक एकड़ खेत में 22 हजार बांस के डंडे लगते हैं जिनकी लंबाई नौ से दस फीट होती है. इन डंडों को जमीन में नीचे तक एक-दो इंच गाड़ देते हैं और उसको एक फुट ऊपर लगा देते हैं. केवल सात या आठ फीट का बांस आपको ऊपर दिखाई देगा. पूरे खेत में 5-6 फीट की दूरी पर बांस लगा देते हैं. इसके साथ ही सवा सौ से डेढ़ सौ किलो तक बीस गज का पतला तार खेत के चारों ओर लगा दिया जाता है.
मल्टीलेयर फार्मिग बेहतर विकल्प
अगर किसान खाली पड़ी जगह और मेंढ़ पर भी खेती करने लगते हैं तो जो फालतू खरपतवार उगने की संभावना होती है वह पूरी तरह से खत्म हो जाती है. जब जमीन में अदरक, पपीता, करेले आदि की फसल उगी होती है तो उस समय खेत में किसी भी जगह पर खाली जगह नहीं बचती है और खरपतवार के उगने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाती है. खेत चारों तरफ से ढका रहता है और इससे बाहरी कीट खेत को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं जिससे किसानों को राहत मिलती है. बाउंड्री बॉल के होने से बाहर के कीट किसी भी तरह से अंदर उग रही फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं.
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