1. Home
  2. सम्पादकीय

दिल्ली पुलिस का एक मामूली सब इंस्पेक्टर इस तरह बन गया किसान नेता, जानिए कौन हैं राकेश टिकैत

पुलिस और फोर्स की भारी मौजूदगी के बाद भी किसान आंदोलन का एक नेता खड़ा होता है और कहता है मुझे गोली मार दो, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं होगा. इस नेता के इतना कहते ही मानो पूरी हवा बदल जाती है और किसान एक बार फिर उसी हौंसले के साथ बोर्डर पर बैठ जाते हैं. पुलिस को चैलेंज करने वाले इस नेता का नाम है राकेश टिकैट, जिन्हें इस किसान आंदोलन के बाद से लगभग हर कोई जानता ही है.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार
राकेश टिकैट
राकेश टिकैट

पुलिस और फोर्स की भारी मौजूदगी के बाद भी किसान आंदोलन का एक नेता खड़ा होता है और कहता है मुझे गोली मार दो, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं होगा. इस नेता के इतना कहते ही मानो पूरी हवा बदल जाती है और किसान एक बार फिर उसी हौंसले के साथ बोर्डर पर बैठ जाते हैं. पुलिस को चैलेंज करने वाले इस नेता का नाम है राकेश टिकैट, जिन्हें इस किसान आंदोलन के बाद से लगभग हर कोई जानता ही है.

किसी के लिए नायक किसी के लिए खलनायक

कल पूरे भारत ने देखा कि कैसे गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद दम तोड़ते किसान आंदोलन को एक बार फिर गाजीपुर बॉर्डर से संजीवनी मिली. राकेश उन किसानों के लिए मसीहा हैं, जो उनकी एक आवाज पर पुलिस की गोली खाने को तैयार हो जाते हैं, तो कुछ लोगो के लिए खलनायक. राइट विंग तो कई बार उनपर देश तोड़ने और किसानों को भटकाने तक का आरोप लगा चुका है. लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आखिर किस तरह देश के एक बड़े किसान वर्ग का चेहरा बन गए इसके पीछे की कहानी दिलचस्प है.

पिता से विरासत में मिला विरोधी तेवर

दरअसल राकेश टिकैत किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं, जी हां वहीं महेंद्र टिकैट जिन्होंने 90 के दशक में केंद्र सरकार की नींद उड़ा दी थी. राकेश ने अपने पिता के उस समय को देखा है जब 1987 में बिजली के दामों को लेकर किसानों का आंदोलन अपने शिखर पर चल रहा था और दो किसान पुलिस की गोली लगने से मारे गए थे. उस समय भी राकेश ने पिता महेंद्र सिंह के साथ मिलकर सरकार को चारों तरफ से सवालो से घेर लिया था.

दिल्ली पुलिस में रह चुके हैं सब इंस्पेक्टर

हालांकि ऐसा नहीं था कि राकेश टिकैत हमेशा से किसानी ही करते रहे हैं, एक समय तक वो दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर भी रहे हैं. शायद यही कारण है कि पुलिस और प्रशासन के हर दांवपेच को वो गहराई से समझते हैं.

44 बार गए हैं जेल

पिता की मृत्यु के बाद राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभालते हैं. हर छोटे बड़े किसान आंदोलनों में सरकार के खिलाफ बोलने के लिए वो 44 बार जेल जा चुके हैं. मध्यप्रदेश के एक भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ आंदोलन केस में तो उन्हें 39 दिनों तक जेल रहना पड़ा था.

क्या खत्म होगा आंदोलन

अब देखना यह है कि क्या दम तोड़ रहा किसान आंदोलन एक बार फिर राकेश टिकैत की बदौलत उठ खड़ा होता है या 2 महीनों से अधिक समय तक हुआ यह विरोध निराधार रह जाता है.

English Summary: who is rakesh Rakesh Tikait know more about his past life career and politics Published on: 29 January 2021, 03:16 IST

Like this article?

Hey! I am सिप्पू कुमार. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News