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कुछ हट कर: राजनीति के दांव पक्के और जनता कच्ची

2024 के लोकसभा चुनाव अब निकट हैं, वोट बैंक के लिए राजनीतिक रणनीतियां बननी शुरु हो रही है. कई तरह से प्रलोभन आने बाकी है. प्रलोभन चाहे जैसा भी हो जनता हमेशा ठगी गई है और ठगी ही जाएगी

सावन कुमार
सावन कुमार
politics.
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राजनीति की चाश्नी का स्वाद सबको अच्छा लगता है भले ही ये ना पता हो कि आखिर ये चाश्नी बनी किससे है. राजनीति दल का ही कोई कहता है ये चाश्नी गुड़ की है उस पार्टी के समर्थक गुड़-गुड़ चिल्लाना शुरू कर देते है तो उसी दल का कोई बड़ा नेता कह दें कि नहीं ये चाश्नी चीनी की है तुंरत समर्थक भी चिल्लाने लगते है अरे! ये चाश्नी तो चीनी की है. दरअसल ना तो राजनीति दल के बड़े नेताओं को पता होता है कि आखिर ये चाशनी गुड़ की है या चीनी की और ना ही उनके समर्थकों को पता होता. हवा में बात उड़ा देनी है कि सच्चाई का कुछ अनुमान नहीं होता पता तो ये भी नहीं होता की आखिर ये चाशनी बनी क्यों है! कोई अनुमान से कह देता है भई! ये तो जलेबी के लिए बनी तो कोई ये कह देता है उससे तो माल पुआ बनेगा! जनता इसी कशमकश में रहती है कि चलो चाश्नी गुड़ की हो या चीनी की अंत में जलेबी या माल पुआ तो मिलेगा ही....

2024 के चुनाव में प्रलोभनों की होगी वर्षा

 ठीक ऐसे ही प्रलोभन राजनीति में देखने को मिलता है. 2024 का चुनाव निकट है. अब पक्ष और विपक्ष की पार्टियां प्रलोभन बांटना शुरू कर देंगी और जनता ये मान लेती है कि उसकी झोली में जलेबी या माल पुआ अब टपकने ही वाला है. चाय बेचने वाला, रिक्शा चलाने वाला या जो झुग्गी झोपड़ी में रहने वाला हो वो तो कल्पनाओं का बांध बांधने शुरू भी कर देते है कि एक जलेबी या माल पुआ तो मिलेगा, कौन कितना खाएगा इसका भी निर्णय कर लेते है. बहरहाल राजनीति के दांव पक्के है और जनता कच्ची है.

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2024 के चुनाव के राजनीति उथल-पुथल होनी तय

2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीतियां बनने लगीं है . राजनीति का चेहरा धुँधला ही है हालात कुछ ऐसे ही प्रतीत हो रहे है जैसे अमृत की कामना से देव और असुर ने समुद्र मंथन का गठबंधन किया और विवाद यहां से शुरू हुआ कि बासुकी के पूंछ की तरफ कौन रहेगा और उसके फन की तरफ कौन रहेगा. देव और असुरों की महत्वाकांक्षा तो बस इतनी ही थी कि वो कैसे अमृत पान करें. ठीक 2024 का लोकसभा चुनाव ऐसा ही प्रतीत हो रहा है. योजनाएं तो बन रहीं है 2024 तक आते आते देश को राजनीति की उथल-पुथल कितनी महसूस होगी ये समय ही तय करेगा. प्रलोभन का बाँध कितना मजबूत होगा ये देखना बाकी है.

English Summary: The stakes of politics are firm, and the stakes are raw Published on: 21 September 2023, 06:17 IST

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