ये लेख लिखना आज बहुत ज़रुरी है क्योंकि मैं अपनी ज़िम्मेदारी से भागना नहीं चाहता. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगले 10 सालों में भारत की 40 प्रतिशत आबादी पानी के लिए तरसेगी. आज भारत में जलस्तर का क्या हाल है ये सबको पता है. लेकिन कोई ये नहीं जानता था कि मुसीबत इतनी जल्दी आ जाएगी. ये कोई हवा में बनाई गई रिपोर्ट नहीं है. विश्वभर के वैज्ञानिक भी इस बात को मान रहे हैं कि 10 साल बाद भारत में पानी का घोर संकट होगा. कुछ वैज्ञानिकों ने तो कहा है कि वो दिन आने में ज्यादा समय नहीं है जब भारत को पानी विदेशों ने मंगवाना पड़ेगा. गर्मी अपने चरम पर है और हर जगह पानी की कमी पड़ रही है.
गांव हो या शहर, हर जगह लोग पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं. हमें अपने रोज़मर्रा के काम में पानी की कितनी आवश्यकता होती है तो ज़रा सोचिए, बड़े-बड़े प्लांट और कृषि हेतु कितना पानी लगता होगा. किसान के खेतों की तो छोड़िए, सरकारी शोध संस्थान भी पानी की किल्लत झेल रहे हैं. 16 दिन पहले दिल्ली के आईसीएआर, पूसा जाना हुआ जहां मैं भिंडी, लौकी, खीरे और कद्दू के खेत में गया. मैने देखा कि वहां हालात ठीक नहीं है. जब हमने वहां के एक वैज्ञानिक से पूछा तो उसने बताया कि इस समय पानी की भारी कमी चल रही है. जैसे-तैसे करके पौधों का रखरखाव किया जा रहा है. पौधों को पानी की आवश्यकता है लेकिन पानी पूरा नहीं पड़ रहा है. ये जलसंकट आज हमें महसूस नहीं हो रहा लेकिन कल यही हमारी सबसे बड़ी परेशानी बनेगी. लगातार घटता जलस्तर और बदलता मॉनसून ठीक संदेश नहीं दे रहा है. अब समय आ गया है कि सरकार, प्रशासन और देश की जनता को साथ मिलकर कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे, कुछ ऐसी नीतियां बनानी होंगी जिससे ये जलसंकट काबू में आ जाए नहीं तो स्थिति भयावह होने के आसार लगाए जा रहे हैं.
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