गरीबी की बहुत बड़ी संख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर रहती है। सेक्टर में समृद्धि बुनियादी ग्रामीण गैर कृषि मजदूरी उत्पादों और सेवाओं के लिए मांग बढ़ाती है। इनमें से अधिकांश माल स्थानीय लोगों द्वारा बनाया जाता है तथा उपयोग किया जाता है। कृषि में उच्च वृद्धि से ग्रामीण गैर फार्म सेक्टर में रोजगार पैदा करने तथा आय बढ़ाने की बड़ी संभावना होती है।
विश्व विकास रिपोर्ट (WDR 2008) ने तर्क दिया है कि कृषि वृद्धि गरीबी और असमानता घटाने में कृषीतर सेक्टरों में वृद्धि की तुलना में चार गुना प्रभाव कारी है।सस्टएनइगं ग्रोथ एंड शेयरिंग प्रोस्पेरिटी (ESCAP 2008) नाम की एक अन्य यू,एन, रिपोर्ट भी कहती है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में लगातार गरीबी दशाब्दियों से कृषि की उपेक्षा का परिणाम है। सर्वेक्षण कहता है कि क्षेत्र के गरीबों अर्थात लगभग 218 मिलियन में हर तीसरे व्यक्ति को गरीबी से ऊपर उठाया जा सकता है औसत कृषि श्रम उत्पादकता बढ़ाई जा सके। इसलिए कृषि आय में वृद्धि को गरीबी नवीनीकरण में अधिक प्रभाव कारी माना गया है। भारत में गरीबी में गिरावट का दर 1990 के निम्न कृषि वृद्धि अवधि के दौरान की अपेक्षा 1980 की दशाब्दी की अपेक्षाकृत उच्चतर कृषि वृद्धि अवधि के दौरान के दशक अधिक थी। उदाहरण के लिए भारत में ग्रामीण गरीबी 1993 -94 और 2004 -5 के बीच 94% बिंदु तक गिरी, जबकि 1977 - 78 और 1987-88 के बीच यह 14% बिंदु तक गिरी थी।
गरीबी भूख और कुपोषण के मुख्य कारणों में से एक खाद्य सामग्री की अपर्याप्त सुलभता जो ग्रामीण भारत में व्यापक रूप में फैले हुए कुपोषण और भूख का मुख्य कारण है। इन से ग्रस्त कामागर अपने और अपने परिवार के लिए प्राप्त कमाने के लिए शारीरिक रूप में बहुत अक्षम होता है। कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि गरीबी नवीनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह कार्य कृषि मजदूरी बढ़ाकर और गरीब परिवारों को वहन करने योग्य मूल्य पर खाद और अन्य कृषि वस्तुओं को सुलभ बनाकर किया जा सकता है।
परंतु गरीबी कम करने में कृषि संवृद्धि अधिक प्रभावी हो सकती है (यदि मानव विकास घटकों जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा में प्राप्त निवेश किया जाए)। बुनियादी शिक्षा का प्रावधान और कुशलता विकसित तथा उन्नयन करने के लिए औपचारिक और अनौपचारिक परीक्षण फार्म कामगारों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि प्राप्त ज्ञान और कुशलताएं से वे नई प्रौद्योगिकी, बाजार के अवसरों और जोखिमों के अनुक्रिया करने के लिए अधिक सक्षम हो सकते हैं। रबीन्द्रनाथ चौबे ब्यूरो चीफ कृषि जागरण बलिया उत्तरप्रदेश।
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