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आर्थिक सहायता योजना का लाभ किसानों को नहीं, खाद उत्पादन कंपनियों को हो रहा!

कृषि उत्पादों के लिए पोषण आधारित आर्थिक सहायता योजना को इस तरह परिवर्तित किया गया है, जिससे इसका लाभ किसानों के बजाय मुख्यतः खाद उत्पादन कंपनियों को हो रहा है.

KJ Staff
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कृषि उत्पादन खर्चों में भारी वृद्धि हुई है
कृषि उत्पादन खर्चों में भारी वृद्धि हुई है

उदारीकरण के बाद के दौर में कृषि उत्पादन खर्चों में भारी वृद्धि हुई है. सार्वजनिक खर्चों में कमी, कृषि में दी जाने वाली आर्थिक सहायता प्रक्रिया में भारी गोल माल एवं सेवा सुविधाओं का निजीकरण इसके प्रमुख कारण हैं. कृषि के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता की प्रक्रिया को पूरी तरह खत्म करना तो संभव नहीं हुआ है, क्योंकि सरकार को डर है कि ऐसा कदम बहुत ही अलोकप्रिय होगा, लेकिन सरकार द्वारा कुछ ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिससे किसानों खासकर गरीब किसानों को इन सहायता से होने वाला लाभ प्रभावित हुआ है.

कृषि उत्पादों के लिए पोषण आधारित आर्थिक सहायता योजना को इस तरह परिवर्तित किया गया है, जिससे इसका लाभ किसानों के बजाय मुख्यतः खाद उत्पादन कंपनियों को हो रहा है. इसके अलावा नव उदारवादी नीतियों के चलते देसी खाद उत्पादक कंपनियों के हितों की अनदेखी करते हुए भारत की ज्यादा से ज्यादा निर्भरता विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादित खाद के आयात पर हो गई है.

इसका विनाशकारी प्रभाव तब देखने को मिला, जब 2021 में वैश्विक परिघटनाओं के चलते खाद की आपूर्ति में. आई कठिनाइयों से खाद की बेहद कमी हो गई है. यह संकट 2022 के खरीफ मौसम में भी बरकरार है और अभी जल्दी इसका निपटारा संभव नहीं दिखता इस कमी की भरपाई किसानों द्वारा ज्यादा कीमत अदा कर की जा रही है.

इसके साथ-साथ ऊर्जा क्षेत्र में सुधार का अर्थ है कि कम कीमत पर कृषि क्षेत्र में आपूर्ति की जाने वाली ऊर्जा की प्रक्रिया बहुत से राज्यों में कमजोर हो गई है. सरकार ऊर्जा क्षेत्र में जो बिजली सुधार कानून आ रही है, उस कानून से वितरण की प्राणाली का पूरी तरह. निजीकरण हो जाएगा और कम कीमत पर कृषि क्षेत्र को दी जानेवाली पूरी व्यवस्था का अंत हो जाएगा. इसका अर्थ है ऊर्जा आपूर्ति के लिए अतिरिक्त खर्च का वहन.

भारत सरकार द्वारा कृषि अनुसंधान और विस्तार में खर्च होने वाली राशि में खत्म हो चुकी है. कृषि अनुसंधान एवं विस्तार विभाग पर कृषि के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0,22 प्रतिशत खर्च किया जा रहा है. इसके चलते किसान आधुनिक कृषि उत्पादन एवं उससे संबंधित सूचनाओं के बारे में निजी कंपनियों या उत्पाद बेचने वाले डीलरों पर निर्भर होने के लिए मजबूर हो गए हैं.

ये भी पढ़ेंः भारत में किसानों का वर्गीकरण

लेखक

रबीन्द्रनाथ चौबे, कृषि मीडिया, बलिया, उत्तरप्रदेश

English Summary: Rising prices of agricultural products and continuous decline in prices of agricultural products Published on: 06 April 2023, 11:16 IST

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