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लोकसभा चुनाव 2019 : किसान ही तय करेंगे कौन बनेगा प्रधानमंत्री

लोकसभा चुनाव 2019 पर देश-विदेश की नजरे टिकी हुई है. सब जानना चाहते है की अबकी बार प्रधानमंत्री मोदी ही रहेंगे या कोई और विपक्ष नेता। एक बात तो तय है कि इस बार का प्रधानमंत्री वहीं बनेगा जिसे किसान (ग्रामीण) चाहेंगे। देश के 542 लोकसभा सीटों में से कुल 57 सीटें ही शहरी क्षेत्रों में आती है.

प्रभाकर मिश्र
प्रभाकर मिश्र

लोकसभा चुनाव 2019 पर देश-विदेश की नजरे टिकी हुई है. सब जानना चाहते है की अबकी बार प्रधानमंत्री मोदी ही रहेंगे या कोई और विपक्ष नेता. एक बात तो तय है कि इस बार का प्रधानमंत्री वहीं बनेगा जिसे किसान (ग्रामीण) चाहेंगे. देश के 542 लोकसभा सीटों में से कुल 57 सीटें ही शहरी क्षेत्रों में आती है. 342 सीटे पूर्ण रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी है. शायद यहीं वजह है की किसान बीजेपी,कांग्रेस और राजनीतिक पार्टियों का केंद्र बिंदु बने हुए है. देश के सभी राजनीतिक दल किसानों को लुभाने की कोशिश में लगे है.

लोकसभा चुनाव 2014 के आकड़े देखे तो एनडीए को 336 सीटें मिली थी जिसमें से अकेले बीजेपी को 282 सीटें पर जीत हासिल की थी. 342 ग्रामीण सीटों में से अकेले 178 सीटें बीजेपी अपने दम जीती थी जिसमें किसी का गठबन्धन नहीं था. वहीं साल 2009 की बात करें तो बीजेपी को ग्रामीण इलाकों से केवल 68 सीटें ही बीजेपी के हाथ लगी थी. उत्तर प्रदेश और बिहार बात करें तो यहां से अकेले ही 120 ग्रामीण सीटें आती है. इसके जरिए बीजेपी को दिल्ली तक पहुंचने की प्रक्रिया इस बार आसान नहीं होने वाली है. क्योकी इन्ही राज्यों के किसानों के सबसे ज्यादा कृषि संकट का सामना करना पड़ा है.

मोदी सरकार आने के बाद लगातार दो साल देश में बारिश कम हुई जिसके वजह से देश को सूखे का सामना करना पड़ा. 2016 में बारिश बेहतर होने से खाद्यान्नों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया जिसके वजह से खद्यान कीमतों में भारी गिरवाट आ गई और किसानों को भरी नुकसान सहना पड़ा. उसके बाद सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए योजना शुरू की लेकिन खाद्यान्नों की गिरती कीमतों के वजह से यह संभव होते नहीं दिख रहा है. 2018 के दिसंबर महीने में ग्रामीण मजदूरी सिर्फ 3.8 फीसद तक बड़ी जिससे साफ जाहिर होता है की कृषि रहित ग्रामीण भत्ते में भी बढ़ोतरी नहीं हुई है.

स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव में अपने किताब में लिखा है कि किसानों कमाई कम, कर्ज का बढ़ता बोझ और आवारा जानवरों द्वारा खेतों को नुकसान पहुंचाने की समस्या बड़ी है. 2018 में प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए पीएमआशा योजना शुरू की लेकिन यह सफल नहीं हो पाई. वहीं 2019 में केंद्र सरकार की तरफ से पीएम किसान योजना की शुरूआत की गई, इस योजना में 2 हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों को साल ने 6000 हजार रूपये सहायता राशि दी जाएगी. अब बीजेपी किसानों से इसी योजना के सहारे वोट मांगने जाएगी.

दूसरी तरफ कांग्रेस ने 2018 में हुए पांच बड़े राज्यों के चुनाव में कर्जमाफी के वादे के जरिए सत्ता हथियाने में सफल हो गई. लेकिन केंद्र सरकार ने जबाब में पीएम किसान योजना शुरू की और इसी के सहारे बीजेपी अपना चुनावी महासंग्राम को जीत की तरफ ले जाएगी. क्योंकि प्रधानमंत्री का मानना है कि  इससे देश के 12 करोड़ किसान लाभावंवित  होगें जो देश के लगभग 86 फीसद किसान परिवार के बराबर है.

English Summary: Lok Sabha elections 2019 Farmers will decide who will become PM Published on: 16 March 2019, 03:55 IST

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