जीवेम शरदः शतम - हम सौ वर्ष तक स्वस्थ जीवन की कामना करते है.
सुजलाम सुफलाम शस्य श्यामला
धरती माँ को हमारे देश में वंदनीय कहा गया है क्योंकि भूमि ही तो सम्पूर्ण जीव जगत को जीवन दान देती है. भू-संरक्षण का अर्थ है उन सभी प्रकार के उपायों को अपनाना तथा कार्यान्वित करना जो भूमि की उत्पादकता को बढ़ाये तथा बनाए रखे. कृषि हमारी अर्थवयवस्था की रीढ़ है. इसलिए हमको वो सभी उपाय करने चाहिए जिससे की भूमि का संरक्षण हो. भूमि प्रकृति का वह अनुपम उपहार है जो बुनियादी रूप से हमारे जीवन के विकास हेतु अनिवार्य है. हमारे वैदिक ग्रन्थों में भूमि की पर्याप्तता सतत उपलब्धता और उत्पादकता में वृद्धि हेतु अनेक प्रार्थनाएं की गई है. हमारे अनेक मंत्रो में ऐसा उल्लेख मिलता है और मानव सभ्यता के विकास का इतिहास इस बात का साक्षी है कि भूमि सर्वोपरि है.
भूमि संरक्षण आज की तारिख में हमारे जीवन का बहुमूल्य हिस्सा बन गयी है सभी जगह शहर हो या गाँव कंकरीट के जंगल बन गये है. बारिश का पानी यदि जमीन के अन्दर जाना भी चाहे तो वह कैसे जा सकता है क्योंकि पानी को जमीन के अन्दर जाने के लिये भी रास्ता चाहिए. यह एक सोचनीय विषय है लोगों की जरूरते इतनी बढ़ गयी है जिसके पास रहने के लिये एक घर है वह दूसरा घर बना रहा है. ऐसे हालात में कृषि की पैदावार कहाँ होगी, कैसे अनाज का उत्पादन होगा, लोगों को पेट भरने के लिये अनाज की आपूर्ति कैसे होगी. जिसका असर आने वाले समय में भुखमरी एवं अकाल के रूप में होगा जिसके लिये सभी को मानसिक रूप से तैयारी कर लेनी चाहिए.
आज आधुनिक युग का मनुष्य जंगलो को काट कर बड़ी – बड़ी इमारते खडी़ करने में लगा है जो जगह पशु-पक्षियों की होती थी वहाँ पर मशीनों का आधिपत्य हो गया है इस स्थिति में पशु -पक्षी कहाँ जायेगें उनकी जगह पर आधिपत्य कर लिया गया है. वह बोल भी नहीं सकते है, ना ही कही रिर्पोट दर्ज कर सकता है. जिसका भरपूर फायदा हम मनुष्य उठा रहे है. जब बड़ी-बड़ी इमारते बन जाती है तब उन जगहों में जंगली जानवर आने लगते है और सहायता के लिये हम सरकार की चैखट में जाते है. इसलिए समय रहते जहां पर भी बंजर एवं अनउपजाऊ भूमि है वहाँ पर बिल्डिग बनाने के बजाय कृषि कार्य प्रारम्भ कर देना चाहिए. जिससे की पर्यावरण में भी संतुलन बन रहे .
भूमि संरक्षण एवं कृशि हेतु सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए कि कृषि भूमि में निर्माण कार्य पर रोक लगनी चाहिए ताकि कृषि हेतु भूमि का क्षेत्रफल बच सकें और भविष्य में भूखमरी की समस्या ना आयें. कृषि का उत्पादन तथा फसलों की सघनता बढ़ सकती है बशर्तें भूमि संरक्षण हेतु कारगर उपाय किये जाए और वृक्षारोपण, वनीकरण तथा ऊसर सुधार आदि पर विशेष ध्यान दिया जाए .
लेखक- पुष्पा जोशी
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