कभी अनाथ फ़सल की तरह देखे गए मिलेट्स यानि मोटे अनाजों को आज सुपरफ़ूड की श्रेणी में गिना जा रहा है. भारत के प्रयासों से साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट इयर (International Year of Millets 2023) के रूप में मनाया जा रहा है. हमारा देश भारत दुनियाभर में मिलेट्स का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक (Millet exporter country) है.
इससे जुड़े ज्ञान और इसके लाभ को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ज़रूरी क़दम उठा रही है. इनमें सेंटर फ़ॉर एक्सिलेंस की स्थापना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में पोषक-अनाजों का एकीकरण व विभिन्न प्रदेशों में मिलेट मिशन (Millet Mission) की स्थापना शामिल है. इन मोटे अनाजों में उच्च पोषण संबंधी विशेषताएं और हमारी सेहत से जुड़े फ़ायदे होते हैं साथ ही कम पानी और इंवेस्टमेंट के साथ इनकी खेती की जा सकती है. गेहूं, चावल की तुलना में यह शुष्क क्षेत्रों में या कम उर्वरता वाली ज़मीन पर भी अच्छी तरह से बढ़ सकते हैं. कम वक़्त में बढ़ने के गुण की वजह से मोटे अनाजों की फ़सलें क़रीब 65 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. ज़ाहिर है कि ये इसकी एक ज़बरदस्त और अहम ख़ूबी है क्योंकि इसकी मदद से विश्वभर में खाद्य सुरक्षा (food security) के मुद्दों को हल किया जा सकता है.
वाणिज्य विभाग को यह आशा है कि आगामी सालों में मिलेट्स निर्यात में तेज़ी आएगी क्योंकि दुनियाभर में इसकी मांग बढ़ रही है. मौजूदा वक़्त में भारत दुनिया में मोटे अनाजों/मिलेट्स का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक है. नेपाल (Nepal), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब (Saudi Arabia) इंडिया से मोटे अनाजों का आयात करने वाले शीर्ष देश हैं (2020 का आंकड़े). विभिन्न प्रकार के मिलेट्स जैसे- ज्वार, बाजरा, फ़िंगर मिलेट, माइनर मिलेट, फॉक्सटेल मिलेट आदि से 2020-21 में भारत से आयात का कुल योग 27.43 मिलियन अमेरीकी डालर रहा.
मिलेट्स जैसे पोषक अनाज के उत्पादन और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट (2022-23) के भाषण में घरेलू और वैश्व बाज़ार में मिलेट्स फ़सलों की कटाई के बाद के मूल्यवर्धन और ब्रांडिंग के लिए मदद का एलान किया था. भविष्य के कुछ सालों में इन पहलों के असर देखे जाने हैं जब हमारा देश भारत दुनियाभर में मिलेट्स व्यापार का मुख्य हिस्सेदार होगा.
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मिलेट्स को अपनी थाली में दोबारा जगह देनी होगी
जैसा कि हम सब जानते हैं कि साल 2023 को दुनिया मिलेट इयर के रूप में सेलिब्रेट कर रही है और ये सेलिब्रेशन भारत की कोशिशों का नतीजा है, लेकिन इसे सिर्फ़ उत्सव के रूप में मना लेने मात्र से हम अपने पोषण, खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्थान का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते हैं, इसके लिए ज़रूरी है कि दुनिया के प्राचीनतम अनाज मिलेट्स को दोबारा हमारी थाली का हिस्सा बनाया जाए. मिलेट्स ग्लूटेन फ़्री अनाज हैं और खेती के मामले में मिलेट्स जैसी शुष्क भूमि वाली फ़सलों को सबसे ज़्यादा उगाए जाने वाले अनाज, गेहूं और चावल की तुलना में कम पानी की ज़रूरत होती है, जलवायु परिवर्तन के बीच शायद मिलेट्स ही वो फसलें हैं जो भविष्य की हमारे पोषणयुक्त खाने की आवश्यकताओं को पूरा करेंगी.
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