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कैसे मप्र के किसान आधुनिक पद्धतियों का उपयोग करके बढ़ा रहे हैं उत्पादन और आमदनी

देश की वर्तमान जनसंख्या 1.35 अरब से अधिक है, जो एक अनुमान के अनुसार 2025 तक विश्व में पहले स्थान पर पहुंच जाएगी। इस प्रकार निरंतर बढ़ती जनसंख्या की खाद्यान्न की आवश्यकता पूर्ति हेतु हमें देश में खाद्यान्न की उत्पादन सन् 2025 तक 380 मि. टन और सन् 2050 तक 480 मि. टन तक बढ़ाना होगा। साथ ही बढ़ती आवश्यकता के अनुरूप ही तिलहन, चीनी, सब्जी-फल, चारा, रेशा,दूध, मांस-मछली आदि का उत्पादन भी बढ़ाना होगा, लेकिन समस्या यह है कि दिन-प्रतिदिन भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। वर्ष 1999-2000 में प्रति व्यक्ति 0.15 हैक्टर भूमि उपलब्ध थी, जो 2020 तक घटकर मात्र 0.05 हैक्टर प्रति व्यक्ति रह जाएगी। ऐसी स्थिति में इन फसलों के अंतर्गत अधिक क्षेत्र तो बढ़ाना असंभव है। साथ ही अधिक उत्पादन लेने के लिए संसाधनों का क्षमता से अधिक दोहन हो रहा है।

देश की वर्तमान जनसंख्या 1.35 अरब से अधिक है, जो एक अनुमान के अनुसार 2025 तक विश्व में पहले स्थान पर पहुंच जाएगी। इस प्रकार निरंतर बढ़ती जनसंख्या की खाद्यान्न की आवश्यकता पूर्ति हेतु हमें देश में खाद्यान्न की उत्पादन सन् 2025 तक 380 मि. टन और सन् 2050 तक 480 मि. टन तक बढ़ाना होगा। साथ ही बढ़ती आवश्यकता के अनुरूप ही तिलहन, चीनी, सब्जी-फल, चारा, रेशा,दूध, मांस-मछली आदि का उत्पादन भी बढ़ाना होगा, लेकिन समस्या यह है कि दिन-प्रतिदिन भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। वर्ष 1999-2000 में प्रति व्यक्ति 0.15 हैक्टर भूमि उपलब्ध थी, जो 2020 तक घटकर मात्र 0.05 हैक्टर प्रति व्यक्ति रह जाएगी। ऐसी स्थिति में इन फसलों के अंतर्गत अधिक क्षेत्र तो बढ़ाना असंभव है। साथ ही अधिक उत्पादन लेने के लिए संसाधनों का क्षमता से अधिक दोहन हो रहा है। खेती में उर्वरक और कीटनाशक रसायनों के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण-मृदा, जल और वायु के प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। इन सभी समस्याओं पर काबू पाने और उत्पादन बढ़ाने का एक ही उपाय है कि प्रति इकाई संसाधन फसल उत्पादकता बढ़ाई जाए और कृषि उत्पादन के टिकाऊपन पर ध्यान दिया जाए।

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इन सभी के बारे में सोचते हुए गा्रमोफोन के संस्थापक जो कि आई आई टी व आई आई एम के पास आउट ने गा्रमोफोन ऐप डेवलप किया जो कि इस तरह की समस्याओं का समाधान किसानों को घर बैठे दे सके। प्रदेश में किसानों द्वारा की जा रही कृषि जगत में इस तरह की नई तकनीक से न केवल उत्पादन बढ़ रहा है बल्कि कृषि लागत भी पहले से कम हुई है। आज आधुनिक कृषि यांत्रिकरण, सब्सिडी एवं उन्नत कृषि के कारण किसानों के बीच खुशहाली आई है। इसका उदाहरण हैं, गिरौटा, इंदौर के 31 वर्षीय किसान राजेश अंजना। वो बताते हैं कि खेती को लाभदायक बनाने के लिए दो ही उपाय हैं, पहला उत्पादन को बढ़ाना और दूसरा लागत को कम करना।

राजेश अंजना के 3 एकड़ भूमि पर प्याज की खेती करते हैं, लेकिन गत वर्षों में आधुनिक एग्रोनॉमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी के सही उपयोग ने उनके उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है। इंदौर के आस-पास के क्षेत्रों में प्याज मुख्य फसल है, जिसमें पैदावार को दोगुना करने की संभावना है। इसको सही भी साबित करती है, उनके उत्पादन में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है। साथ ही प्याज की गुणवत्ता में 50 फीसदी और शुद्ध निष्पादन में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

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राजेश अंजना एक स्मार्ट फोन यूजर हैं और बताते हैं कि ग्रामोफोन एप के जरिए उन्हें निरंतर विशेषज्ञों की सही सलाह, कृषि की आधुनिक तकनीकों और पद्धतियों की जानकारी मिलती रहती है। यही नहीं, खेती से जुड़ी कई तरह की समस्या आती है, जिनका उचित समाधान हमारे पास नहीं होता है और न ही जानकारी होती है। इस एप के माध्यम से हम तुरंत कृषि विशेषज्ञों को अपनी समस्या बता समाधान पूछ सकते हैं और अन्य उन्नत या समकक्ष किसानों के साथ अपनी समस्याएं, जिज्ञासाएं आदि साझा कर सकते हैं। किसान इस एप का प्रयोग खेती से जुड़ी हर तरह की समस्या का समाधान कर सकते हैं। किसान बीज, दवाइयों, कीटनाशक आदि के उपयोग व विश्वसनीय उत्पादों की जानकारी भी ले सकते हैं। इसके अलावा किसान मौसम से जुड़ी जानकारी और मंडी भाव के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।

English Summary: How farmers of MP are increasing using modern methods of production and income Published on: 11 August 2018, 05:13 IST

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