किसान खुश नहीं है! सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कृषि मंत्रालय का नाम में भी बदलाव करके किसान कल्याण का नाम उसमे जोड़ दिया. क्या किसानों का कुछ भला हुआ? काफी सारी चुनिंदा फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी डेढ़ गुना कर दिया गया. फिर भी देश का किसान खुश नहीं दिखाई दे रहा. किसान आत्महत्या का सिलसिला अब भी जारी है. कुछ राज्यों में किसानों का कर्ज माफ़ भी कर दिया फिर क्या वजह है की किसान अभी भी अपना सारा कर्ज माफ़ करने के लिए मांग रखता आ रहा है.
प्रधान मंत्री ने किसानों से सीधे संवाद भी किया और अपने मन्न की बात में किसानों का जिक्र किया तो भी किसान खुश नहीं !
किसान को क्या चाहिए?
किसान कल्याण के लिए पिछले 23 साल से `कृषि जागरण` पूरे भारत के किसानों के लिए 12 भाषाओं में 1996 से मासिक पत्रिका का प्रकाशन करता आ रहा है. नयी तकनीक, किसानो के लाभ के लिए जानकारी, यही सब कुछ किसान की अपनी भाषा में ऐसी जानकारियां उपलब्ध करता आ रहा है.
कृषि जागरण ने सरकारी योजनाओं और मधुमक्खी पालन पर विशेष संस्करण भी निकाले. यह सब किसान कल्याण के लिए ही था. फिर भी कृषि जागरण सोचता है कि क्यों किसान खुश नहीं?
अब कृषि जागरण भारत के प्रधान मंत्री से अनुरोध करता है कि यही उपयुक्त समय है कि किसानों का जितना भी कर्ज है वह एक बार पूरा का पूरा चूका दिया जाय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सरल और सब के लिए जरूरत के मुताबिक लागू किया जाए. सॉयल हेल्थ कार्ड और किसानों कि और उसके परिवार के लिए सेहत हेतु नई योजना को एक मूरत रूप दिया जाए. किसान कि आय दोगुनी हो वह भी 2022 तक इसको भी जल्द करने कि जरूरत है.
सबसे पहले यह देखने कि बात है कि किसान कि आय है कितनी?
Share your comments