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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ उठाए किसान

सिंचाई कृषि का एक हिस्सा है जिसके बिना खेतीकरना असंभव है क्योंकि कोई भी फसल बिना पानी के नहीं हो सकती है। जिस तरह से मानव शरीर को पानी की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार फसल और खेतों को भी पानी आवश्यकता होती है। देश में छोटी छोटी भूमि किसानों के पास है और अभी हमारे किसान भाई सरफेस इरीगेशन विधि का इस्तेमाल करते हैं.

सिंचाई कृषि का एक हिस्सा है जिसके बिना खेतीकरना असंभव है क्योंकि कोई भी फसल बिना पानी के नहीं हो सकती है। जिस तरह से मानव शरीर को पानी की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार फसल और खेतों को भी पानी आवश्यकता होती है। देश में छोटी छोटी भूमि किसानों के पास है और अभी हमारे किसान भाई सरफेस इरीगेशन विधि का इस्तेमाल करते हैं. जिससे की 60 प्रतिशत तक पानी बेकार हो जाता है। इससे फसल की पैदावार पर भी प्रभाव पड़ता है। सरकार ने किसानों के लिए कृषि सिंचाई में नयी तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की है। इसके तहत बूँद सिंचाई और सूक्ष्म बूँद सिंचाई जैसी तकनिकी विधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि किसानों को फायदा पहुँचाया जा सके. किसान प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से फायदा उठा सकते हैं।

प्रधानमंत्री सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana) की शुरुआत 2015 में की गई थी। जिसमे गवर्नमेंट ने 50000 करोड़ रुपये बजट में निधि तय की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि को सिंचाई की कमी की वजह से होने वाले नुकसान से किसानों को बचाना था। देश के बड़े हिस्से में कृषि सिंचाई की सुविधा नहीं है। जिससे कि किसान अपनी फसलों की सिंचाई अच्छे से कर सके. किसानों के खेतो सही से पानी पहुँच सकें। चूँकि सरकार का प्रयास है की देश में बूँद सिंचाई को प्रयोग में लाया जाए ताकि इससे पानी की बचत भी हो और फसल पैदावार में बढ़ोतरी हो. इसी उद्देश्य से सरकार ने इन कारणों से प्रधान मंत्री   कृषि सिंचाई योजना को लागू किया। इसके लावा भी केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को भी सूचित किया था राज्य सरकारें भी राज्यों के बजट में सिंचाई योजना को स्थान दे।  फिलहाल बूँद सिंचाई और सूक्ष्म टपक सिंचाई का देश में अधिकतर इस्तेमाल राजस्थान, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसका इस्तेमाल हो रहा है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

हमारे देश में कुल 142 मिलियन हैक्टेयर कृषि लायक जमीन में केवल 45 प्रतिशत खेती के लिए ही कृत्रिम सिंचाई के लिए व्यवस्थापन है। बाकी की बची जमीन सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर है। यदि मानसून आने पर देश में बारिश होती है तो ही खेतों की सिंचाई हो पाती है। यानी बारिश के समय पर न होने से काफी नुकसान उठाना पड़ता है।

इस योजना के तहत सरकार ने 5300 करोड़ रुपये इस योजना में खर्च करने को कहा गया था और इसके अलावा कुल 6 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि के लिए सिंचाई उपलब्ध करवाने के लिए इस योजना के तहत लाया जाए।

इसके अलावा 5 लाख हैक्टेयर जमीन को टपक सिंचाई का लाभ मिलेगा जिसकी वजह से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा और पानी का व्यय भी कम होगा। इस योजना के तहत 1300 वाटर शेड की परियोजनाएं भी पूर्ण किया जाएगा। इस योजना में से 200 करोड़ रुपये का उपयोग कृषि में वैज्ञानिक तरीको को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। यह फण्ड ।Agri - Tech Infrastructure Fund (ATIF) को दिए जाएगा। ये फण्ड NAM को बढ़ावा देने के लिए दिए जाएगे। इससे ये होगा की किसानो को आपने उत्पादनों को आसानी से बाजार तक पहुचाया जा सके। इस योजना से साथ MNREG। की Guideline  भी शामिल की जाएगी

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई के 2016-17 के बजट के दौरान 20000 करोड़ रुपए का कोष बनाया. जिसमें 80.6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हेतु 89 लंबित वृहत एवं माध्यम सिंचाई परियोजना हेतु रुपए 86.500 करोड़ की आवश्यकता होगी, जिसमें से 2016-17 में 23 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए रूपये 12517 करोड़ का प्रावधान।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का मुख्य उद्देश्य देश के सिंचाई सिस्टम में सुधार करके हर एक खेत तक पानी पहुँचाना है। इसलिए सरकार बूँद सिंचाई, सूक्ष्म बूँद सिंचाई आदि को बढ़ावा दे रही है। इस योजना के माध्यम से पानी की बचत करना मुख्य उद्देश्य है और जिन क्षेत्रों में सिंचाई का पानी नहीं है उनमे पानी पहुँचाना इस  योजना का मुख्य लक्ष्य है।  

पर ड्रॉप मोर क्रॉप

पर ड्राप मोर क्रॉप प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का एक अहम हिस्सा है। इसकी शुरुआत खेतो तक बूँद सिंचाई को पहुँचाने के लिए और सूक्ष्म बूँद सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए की गई। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से खेतों की पैदावार बढ़ाना और किसानों की आय में इजाफा करना है। इसके जरिए बूँद सिंचाई को प्रमोट करना मुख्य लक्ष्य है।

प्रधानमंत्री वाटरशेड डेवलपमेंट

इस योजना के तहत कुछ बातांे पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा जैसे की ड्रेनेज ट्रीटमेंट, सोइल एंड मोस्चर कंजर्वेशन, जल संचयन संरचना और आजीविका सहायता। इस गतिविधियों को सहायक और जैसी गतिविधियों में सहायता करना है। 

सब्सिडी: बूँद सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए कृषि के सरकार किसानों को इस ओअर अनुदान भी दे रही है। केंद्र सरकार द्वारा बूँद सिंचाई एवं सूक्ष्म बूँद सिंचाई पर  55 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध है। इसके अलावा राज्य सरकारों द्वारा भी इस पर अनुदान दिया जाता है। यह हर एक राज्य में अलग में है। किसी राज्य में बूँद सिंचाई और सूक्ष्म बूँद सिंचाई पर 60 से 70 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध है।

कहा संपर्क करें 

हर एक जिले में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की सपूर्ण जानकारी उपलब्ध है। इस योजना की जुडी किसी भी समस्या और जानकारी के लिए किसान जिला कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं अथवा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की वेबसाइट पर विजिट करके विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं..www.pmksy.gov.in

बूँद सिंचाई सुविधाए उपलब्ध कराने वाली निजी कंपनियां: नेटाफिम इरीगेशन, रिवुलिस इरिगेशन, कैप्टन पोलीप्लास्ट, हारवेल अगुआ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, फिनोलेक्स प्लाशन, निंबस पाइप्स और विशाखा इरिगेशन आदि ऐसी कंपनिया जो बूँद सिंचाई के इंस्टालेशन की सुविधाए उपलब्ध करा रही है। 

English Summary: Farmers taking advantage of Prime Minister's agricultural irrigation scheme Published on: 12 July 2018, 01:14 IST

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