भारत कृषि प्रधान देश है. इसको लेकर विभिन्न मंचों पर कई बार बहस हुई. विशेषज्ञों ने किसानों की आत्महत्या को लेकर सवाल भी खड़े किए, लेकिन अंतत: कुछ बदलते दिख नहीं रहा है. हर रोज देश के किसी न किसी कोने में किसान अपने आप को दबा हुआ महसूस कर रहा है और आत्महत्या करने को मजबूर है. हालांकि, केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है. आजादी के बाद भारत ने बहुत अधिक विकास किया, यह कोई इनकार नहीं कर सकता है. लेकिन इन 73 वर्षों में क्या हुआ कि कृषि कभी फायदे का सौदा हुआ करता था, पर घाटे के सौदे में बदलते चला गया.
'किसानों में जानकारी का अभाव'
बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत देश के कई हिस्सों में किसान धान की रोपाई कर चुका है. फसल खड़ी है. इनमें से कई किसानों ने रासायनिक खाद डाले हैं, लेकिन उनका धान अन्य किसानों के मुकाबले कमजोर मालूम पड़ रहा है. इसकी वजह यह है कि उन किसानों को स्वाइल हेल्थ के बारे में अधिक जानकारी नहीं है या उन तक स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना का लाभ अभी तक पहुंच ही नहीं पाया है. अगर कृषि क्षेत्र में भारत को फिर से सर्वोच्च देशों के कतार में खड़ा करना है, तो किसानों को खेत की तैयारी बीज, खाद और सिंचाई संबंधी समस्याओं को दूर करना होगा.
'किसानों की आत्महत्या एक बड़ी समस्या'
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में 11,379 जबकि 2018 में 10,349 किसानों ने खुदकुशी कर ली. भले ही 2016 के मुकाबले 2018 में किसानों की आत्महत्या में कमी आई हो. लेकिन अभी भी वहीं चुनौती देश के सामने मुंह बाए खड़ी है कि आखिर कब तक किसानों की आत्महत्या रुकेगी. किसानों की आत्महत्या के पीछे एक बहुत बड़ी वजह कर्ज ना चुका पाना भी है. एक घटना उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की है. देहरादून राज्य मार्ग स्थित यूनियन बैंक के शाखा के सामने एक पेड़ पर रस्सी लटकाकर किसान वेदपाल झूल गया. बाद में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उस किसान के पास से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उसने बैंक पर कर्ज देने के बदले दलाली का आरोप लगाया था.
'मछली और डेयरी उद्योग में किसानों के लिए आस'
किसानों को कृषि क्षेत्र में फायदे कम और घाटा ज्यादा हो रहा है. किसान भाई मछली पालन और डेयरी उयोग को कमाई का जरिया बना सकते हैं. लॉकडाउन में कम दूध की खपत को देखते हुए डेयरी व्यापारियों ने दूध को फेंकने के बजाय घी और पाउडर अधिक मात्रा में बना दिया. इसका इस्तेमाल आगे चलकर भी किया जा सकता है. हरियाणा समेत कई ऐसे राज्य हैं जहां डेयरी उद्योग के लिए सरकार 75 फीसदी तक का अनुदान राश दे रही है. सरकार भी यह मानकर चल रही है कि डेयरी किसान की आमदनी दोगुनी करने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है. वहीं, मछली पालन के लिए उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्य सरकार भी अनुदान राशि दे रही है.
'कृषि क्षेत्र को बढावा देना जरूरी'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की वजह से घर आए प्रवासी मजदूरों के लिए 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान' की शुरुआत की थी. यह अभियान 6 राज्यों के 116 जिलों में चलाया जा रहा है. कई प्रवासियों को इसके तहत रोजगार भी मिला है, लेकिन अधिकतर को रोजगार देना अभी भी बड़ी चुनौती है. प्रवासी मजदूर अब शहर लौटना नहीं चाहते हैं. मनरेगा तहत भी अधिक लोगों को रोजगार नहीं दिया जा सकता है. केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो मजदूर अब दूसरे राज्य में जाकर काम नहीं करना चाहते हैं उन्हें उनके ही राज्य में रोजगार मिल सके. अधिक रोजगार पैदा करने करने के लिए सरकार को कृषि को बढ़ावा देना होगा, तभी भारतीय किसान के साथ-साथ भारत की भलाई संभव है.
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