भारत में जैविक खेती के तौर-तरीकों को अपनाने पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है जिससे ना केवल देश बल्कि विदेशी से भी इसकी खेती के बारे में जानने के लिए इच्छुक है। इसीलिए इस सप्ताह भारत की जैविक खेती को समझने के लिए म्यांमार से आए माउंग माउंग टिग जोकि उद्योगपति, व्यापारी, और किसान है ने महाराष्ट्र के अकोला एवं वाई (सतारा) स्थित सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स द्वारा विकसित "आर्दश जैविक प्रक्षेत्र" का भ्रमण किया। इस दौरान वहां पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहां पर टिन ने किसानों से सीधी वार्ता की। टिन ने वहां जैविक विधि से उग रहे गन्ना, सब्जी, हल्दी आदि फसलों को ध्यान से देखा और उनको उगाने की जानकारी ली । इसके बाद उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य म्यांमार में जैविक तरीके से हल्दी व अदरक का उत्पादन करना है। टिन ने वहां हल्दी की जैविक फसल प्रणाली और उसके काम को किसानों से विस्तार से समझा और यह किस तरह से लाभदायक है यह भी जानने की कोशिश की है। टिन ने हल्दी फसल के साथ साथ कंपनी में उबालान, सुखाना और पॉलिश के प्रयोग में होने वाली मशीनों को भी देखा।
टिन ने हल्दी की खेती के बारे में जाना
म्यांमार से आए प्रतिनिधि माउंग माउंग टिन ने वहां के किसानों से हल्दी की खेती के बारे में जानकारी ली। किसानों ने टिन टिन को बताया जिस हल्दी के आदर्श प्रक्षेत्र को आप देख रहे है उसको उगाने में कोई भी सामग्री बाजार से खरीद कर नहीं लाई गई है। इस बात को सुनकर टिन टिन आश्चर्यचकित रह गए और उन्होंने हल्दी की खेती के बारे में विस्तार से पूरी जानकारी जानने की इच्छा जाहिर की। इस पर कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक शोध संजय श्रीवास्तव ने उनको विस्तार से समझाते हुए कहा कि यहां इस प्रक्षेप में फसल उगाने हेतु किसी भी बाहरी इनपुट का प्रयोग नहीं किया गया है। किसान ने इसे खुद ही गोबर की अच्छी खाद, बेस्ट डी-कंपोजर के माध्यम से बनाया, घन जीवामृत एवं वेस्टडीकंपोजर घोल आदि बनाकर प्रयोग किया गया है।
वरिष्ठ प्रबंधक ने टिन को बताय़ा कि बुवाई से पूर्व हल्दी के बीज को जैविकफफूंदनाशी ड्राईकोडरमा से उपचारित किया गया है वं जीवाणु कल्चर (बायोफर्टीलाइजर) का प्रयोग नाइट्रोजन, फास्फेरस, पोटाश एवं जिंक आपूर्ति हेतु किया गया है। उन्होंने इस दौरान आनफार्म इनपुट में उपयोग होने वाली सामग्री को भी दिखाया एवं इसको बनाने की विधि को बनाकर बताया।
म्यांमार प्रतिनिधि का भारतीय रिवाज से स्वागत
म्यांमार से भारतीय जैविक खेती की जानकारी लेने आए हुए माउंग माउंग टिन का अतिथि की तरह स्वागत किया गया। इस दौरान उनकी महाराष्ट्र के रीति-रिवाजों के अनुसार आरती उतारकर और साफा (पगड़ी) पहनाई गई।
म्यांमार ने की कंपनी की सराहना
म्यांमार से आए माउंग माउंग टिन ने सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक द्वारा किसानों को जैविक खेती की दिशा में दिए जाने वाले मार्गदर्शन एवं "आदर्श प्रक्षेत्र" की सराहना की और किसानों एवं सुमिंतर इंडिया को धन्यवाद दिया। इसके साथ ही कार्यक्रम की समाप्ति पर सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स की तरफ से संजय श्रीवास्तव ने आये विदेशी मेहमान व स्थानीय किसानों को धन्यवाद भी दिया।
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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