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फसलों को बीमारी लगने से बचाएगा ऑरकॉन, जानिए खूबियां

मिर्ची, भिन्डी, पपीता,अनार,बींस, ककड़ी, और करेला आदि की फल और सब्जियों की फसलों में कई तरिके की बैक्टीरियल बीमारियां जैसे लेफब्लाईट,लीफ स्पॉट, कैकर आदि और कई तरिके के वायरस जैसे लीफ कर्ल वायरस, मोज़ेक वायरस और वायरलो आदि के होने का डर बना रहता है. फलों और सब्जियों में इन तरिके के बीमारियों के होने से किसानों की फसल के उत्पादन में कमी के साथ उनकी आमदनी पर भी अच्छा ख़ासा असर पड़ता है.

मिर्ची, भिन्डी, पपीता,अनार,बींस, ककड़ी, और करेला आदि की फल और सब्जियों की फसलों में कई तरिके की बैक्टीरियल बीमारियां जैसे लेफब्लाईट,लीफ स्पॉट, कैकर आदि और कई तरिके के वायरस जैसे लीफ कर्ल वायरस, मोज़ेक वायरस और वायरलो आदि के होने का डर बना रहता है. फलों और सब्जियों में इन तरिके के बीमारियों के होने से किसानों की फसल के उत्पादन में कमी के साथ उनकी आमदनी पर भी अच्छा ख़ासा असर पड़ता है. इन बीमारियों से बचने के लिए किसान कई प्रकार के रसायनिक दवाओं का उपयोग करता है जो हमारे वातावरण के साथ मानव स्वास्थ्य पर असर डालता है इसलिए किसानों को चाहिए की वे ऐसे औषधियों का प्रयोग करें जिससे वातावरण को भी नुकसान न पहुचाये और न ही मानव या अन्य जंतुओं के स्वास्थ्य पर भी कोई बुरा असर न डाले. इसी दिशा में क्रोपेक्स कंपनी भी काम कर रही है. क्रॉपेक्स कंपनी के कार्बनिक उत्पाद छह प्रमाणन एजेंसियों- आईएम्ओ, वैदिक कार्बनिक आईएफओएएम, आईएचएसएस, पीएमएफएआई और आईसीसीओए द्वारा प्रमाणित किये गए हैं. इन स्वीकृत कार्बनिक एग्रोकेमिकल्स में से एक उत्पाद है ORCON.

ORCON का मुख्य रूप से प्रयोग फलों और सब्जियों की फसल से बैटीरियल और वायरल बीमारियों के बचाव हेतु प्रयोग करते हैं. मिर्ची, भिन्डी, पपीता, अनार, बीन्स,ककड़ी, टमाटरपपीता, कपास, करेला और मसाले आदि पर आने वाली बीमारियों आदि को नष्ट करके ORCON फसलों की रक्षा करने में सहायक होता है.

मात्रा

यह पाउडर का घोल दोनों रूपों में इस्तेमाल किया जाता है. इसका गोल बनाने के लिए यदि आप पाउडर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ORCON 1.2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बनायें. यदि आप द्रवित ORCON का प्रयोग कर रहे हैं तो आप 1.2 मिली की मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बनायें उसके बाद यह घोल आपका फसलों पर स्प्रे करने के तैयार हो जाता है.

प्रयोग विधि:           

यह फसल के लिए उपचारात्मक और निवारक के रूप में कार्य करता है. प्रभावी नियंत्रण के लिए 7 से 10 दिन के अंतराल पर इसका छिड़काव करें. क्रोपेक्स के कृषि रसायन काफी उन्नत और लाभकारी हैं. इसके उत्पादों में पारंपरिक और आधुनिक विनिर्माण प्रक्रियाओं का मिश्रण किया गया है. इससे यह सिद्ध हो गया है कि पौधों को हानिकारक सिंथेटिक पदार्थों के उपयोग के बिना रोगों और कीटों से बचाया जा सकता है.

कंपनी के प्रयासों को कर्नाटक राज्य सरकार के कृषि विभाग ने भी सराहा है. राज्य कृषि विभाग की आधिकारिक "कर्नाटक की जैविक खेती निर्देशिका" में कपनी का नाम इनपुट उत्पादक के रूप में शामिल किया गया है. एकॉन थोक, निजी लेबल और ब्रांडों में उपलब्ध है.

 कंपनी और उसके उत्पाद की अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

 

दूरभाष- 73494-23613, ई-मेल: [email protected]

अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट देखें- www.cropex.in

पता: क्रॉपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, संख्या 83, तालाकावेरी लेआउट

बसवनगर, बैंगलोर 560037, कर्नाटक.

 

यदि आपके पास कोई प्रश्नसुझाव या पूछताछ हैतो कृपया नीचे दिए गए कोमेंट बॉक्स में जरूर लिखें.

English Summary: Okraon, Know the Potentials to Protect Crop Illness Published on: 27 October 2018, 11:19 AM IST

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