भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य पदार्थों के पैकेजिंग नियमों में बदलाव की तैयारी कर ली है।
इसके तहत खाद्य कंपनियों को पैकेट पर पोषण संबंधी जानकारियों का खुलासा करना होगा। इसमें कैलोरी (ऊर्जा), संतृप्त वसा, ट्रांस-फैट, एडेड शुगर और सोडियम की मात्रा का उल्लेख पैकेट पर सामने की ओर करना होगा। इसके अलावा कंपनियों को अनुशंसित आहार भत्ता (आरडीए) के लिए प्रतिशत योगदान का भी उल्लेख करना होगा।
नए नियमों के तहत खाद्य कंपनियों को अपने पैकेट पर सामने की ओर लाल रंग में उच्च वसा, चीनी और नमक की मात्रा का उल्लेख करना होगा। इसका मकसद उपभोक्ताओं को इन खाद्य पदार्थों को लेकर सचेत करना है।
एफएसएसएआई ने बताया कि नए लेबलिंग एवं डिस्प्ले नियमों का मसौदा अधिसूचना के लिए तैयार है और यह खाद्य सुरक्षा एवं मानक नियमन 2011 की जगह लेगा। प्राधिकरण का कहना है कि नियमों में बदलाव का मकसद नागरिकों को खाद्य उत्पादों की संरचना को लेकर ज्यादा जानकारी उपलब्ध कराना है, ताकि उनकी पसंद को लेकर सही जानकारी मिल सके।
प्राधिकरण ने अपने बयान में कहा है कि अभी कंपनियां उत्पाद के निर्माण और एक्सपायरी तिथियां अलग-अलग जगह लिखती हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं के लिए एक ही समय में दोनों जानकारियां लेना मुश्किल होता है। लिहाजा नए नियमों के तहत कंपनियों को पैकेट पर निर्माण और एक्सपायरी डेट एक ही जगह अंकित करना जरूरी होगा। इसके अलावा कंपनियां अभी पैकेट पर पीछे की तरफ पोषण संबंधी जानकारियों का उल्लेख करती हैं, जिसे बदलना होगा।
पैकेजिंग को लेकर सरकार के नियमों में बदलाव पर उद्योग जगत से जुड़े संगठनों ने चिंता जताई है। अखिल भारतीय खाद्य प्रसंस्करण संगठन (एआईएफपीए) के अध्यक्ष सुबोध जिंदल का कहना है कि नियामक का प्रस्तावित नियम न तो वैज्ञानिक है और न ही व्यवहारिक है। एफएसएसएआई ने कहा है कि मसौदा नियमों की अधिसूचना जारी होने के 30 दिन के भीतर सभी हितधारकों को अपनी आपत्तियां और सुझाव जमा कराने होंगे। इस अंतिम फैसला किए जाने से पहले उद्योग संगठनों की चिंताओं पर भी चर्चा की जाएगी। नियामक ने कहा कि अंतिम रूप से जारी नियमों को सभी कंपनियां चरणबद्ध तरीके से एक साल के भीतर अनिवार्य रूप से लागू करेंगी।
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