कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन का असर मध्य प्रदेश में मैदा और रवा प्लांट पर भी पड़ रहा है. सभी प्लांटों के शटर इस समय पूरी तरह डाउन हैं. दरअसल मैदा का अधिकतर उपयोग बाजारू ही होता है. इस कारण फिलहाल इसकी डिमांड कुछ खास नहीं है. पहले से रखा माल भी खत्म होने को है. वैसे लॉकडाउन की शुरूआत में आटा प्लांट्स को भी बंद करने का फैसला लिया गया था.
नहीं है आटें की दिक्कत
मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक इस समय देश में आटें की कोई कमी नहीं है और न ही किराना दुकानों पर कोई प्रतिबंध है. हालांकि लॉकडाउन की शुरूआत में तरह-तरह के अफवाहों ने इसकी मांग बढ़ा दी थी. लोगों ने अचानक जरूरत से अधिक आटा खरीदना शुरू कर दिया था. लेकिन अब कुछ दिनों से आटे की मांग में कमी देखी गई है. स्थिति ये है कि शहरों में इसकी खपत कम दिखाई पड़ रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरूआत में सभी बड़े मिलों को बंद कर दिया गया था.जिसके कारण मांग की समस्या उत्पन्न हो गई थी. 10 से 11 हजार क्विंटल आटा तैयार करने वाली मिलों में भी उत्पादन घटकर सिमट गया था. लेकिन अब कुछ दिनों के बाद से एक बार फिर पहले की तरह उत्पादन हो रहा है.
लॉकडाउन में आटें पर नया नियम लागू
लॉकडाउन को देखते हुए मध्य प्रदेश में नया नियम लाया गया है. जिसके बाद से आटा स्टॉक करना लोगों के लिए मुश्किल होगा. अब एक बार में एक व्यक्ति 10 किलो आटा ही खरीद पाएगा. आटें की तरह शक्कर पर भी लिमिट तय कर दी गई है. एक व्यक्ति 2 किलो से अधिक शक्कर नहीं खरीद सकता.
खैर इस समय लॉकडाउन के कारण सभी रेस्त्रां,चौपाटी और अन्य तरह के फूड बाजार पूरी तरह बंद हैं. हालांकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि लॉकडाउन के बाद लॉ ऑफ़ सप्लाई का नियम खाद्य उत्पादों पर लागू होगा, जिसके कारण मैदा और रवा की खपत बढ़ जाएगी.
मांग के कारण क्यों बढ़ेगी सप्लाई
अर्थशास्त्र के मुताबिक आपूर्ति और मांग का कानून एक दूसरे से संबंधित है, इसलिए अगर लॉकडाउन के बाद मैदे की मांग बढ़ेगी तो आपूर्ति में तेजी आएगी और मिल मालिकों को फायदा होगा.
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