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IPI ने पॉलीहैलाइट खाद के उपयोग से हल्दी की उपज और गुणवत्ता में सुधार पर वेबिनार आयोजित किया

अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान (IPI), स्विजरलैंड ने कृषि जागरण के फेसबुक पेज पर विशेष रूप से भारत में हल्दी की खेती के लिए लाभकारी उर्वरक पॉलीहैलाइट के लाभों के बारे में एक लाइव चर्चा की, जिसमें डॉ. आदि पेरेलमैन, इंडिया कॉर्डिनेटर, अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान, और डॉ. पी. के. कार्तिकेयन, सहायक प्राध्यापक (मृदा विज्ञान), अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु ने भाग लिया.

विवेक कुमार राय
A still from the live discussion
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अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान (IPI), स्विजरलैंड ने कृषि जागरण के फेसबुक पेज पर विशेष रूप से भारत में  हल्दी की खेती के लिए लाभकारी उर्वरक पॉलीहैलाइट के लाभों के बारे में एक लाइव चर्चा की, जिसमें डॉ. आदि पेरेलमैन, इंडिया कॉर्डिनेटर, अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान, और डॉ. पी. के. कार्तिकेयन, सहायक प्राध्यापक (मृदा विज्ञान), अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु ने भाग लिया. 

यह चर्चा तमिलनाडु के इरोड जिले में अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान के सहयोग से अन्नामलाई विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन पर केंद्रित थी. यह एक बहुत ही सारगर्भित चर्चा थी, जिसमें भारत के विभिन्न हिस्सों के लोगों ने भाग लिया. डॉ.पी.के. कार्तिकेयन ने अध्ययन की पूरी पद्धति और परिणामों के बारे में बताया. इसके अलावा, उन्होंने लाइव दर्शकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी दिया. चर्चा को आप कृषि जागरण के फेसबुक पेज पर विजिट कर देख सकते हैं.   

पॉलीहैलाइट क्या है? (What is polyhalite?)

पॉलीहैलाइट समुद्र की गहराई में 260 मिलियन वर्ष पहले से जमा चट्टाने हैं जो इंग्लैंड के उत्तर-पूर्वी समुद्र तट पर सतह से 1200 मीटर गहराई में पायी गयी हैं. पॉलीहैलाइट एक क्रिस्टल है, इसलिए इसके सभी घटक एक अनुपात में धीरे धीरे रिलीज़ होते हैं. हालांकि, घुलने के बाद प्रत्येक पोषक तत्व मिट्टी के साथ अलग तरह से प्रतिक्रिया करते हैं. पॉलीहैलाइट से फसल की सल्फर, पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम की आवश्यकता और कमी को पूरा किया जा सकता है. 

भारत में हल्दी की खेती (Turmeric cultivation in India)

भारत दुनिया में हल्दी का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है. भारत में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र और असम हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं.

हल्दी की खेती के दौरान पोटैशियम की ज्यादा जरूरत होती है, वहीं उपज आमतौर पर हल्दी की किस्म के साथ-साथ मिट्टी और फसल की वृद्धि के दौरान मौसम की स्थिति पर निर्भर करती है.

जलवायु और मिट्टी (Climate and soil)

  • हल्दी की खेती हेतु 25-39 °C के तापमान के साथ उष्ण कटिबंधीय स्थिति की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, लगभग 1500 मिमी वर्षा की आवश्यकता वाली वर्षा सिंचित परिस्थितियों में इसकी खेती की जाती है.

  • इसकी खेती हेतु 4.5-7.5 pH के साथ अच्छी तरह से जल निकासी वाली रेतीली या चिकनी दोमट मिट्टी की जरूरत होती है.

हल्दी में पोषक तत्व प्रबंधन (Nutrient Management in Turmeric)

नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे प्रमुख पोषक तत्वों के अलावा, हल्दी को पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और सल्फर की आवश्यकता होती है इसलिए पॉलीहैलाइट हल्दी की खेती के लिए एक उपयक्त उर्वरक है.

पॉलीहैलाइट में पोषक तत्वों का संघटन (Nutrient composition in polyhalite)

  • 46% SO3 (सल्फर ट्रायऑक्साइड) सल्फर का उत्कृष्ट स्रोत है और इसकी मृदा में लागतार उपलब्धता से अन्य पोषक तत्वों जैसे N और P की प्रभावकारिता में सुधार आता हैI

  • 13.5% K2O (डाई पोटैशियम ऑक्साइड) पौध के सम्पूर्ण बढ़वार और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है.

  • 5.5 % MgO (मैग्नीशियम ऑक्साइड) प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक हैI

  • 16.5 % CaO (कैल्शियम ऑक्साइड) कोशिका विभाजन और मजबूत कोशिका भित्ति के लिए आवश्यक तत्व हैI

पॉलीहैलाइट उपयोग के फायदे (Advantages of using polyhalite)

  • यह एक प्राकृतिक खनिज (डायहाइड्रेट पॉली हैलाइट) है, जिसमें चार प्रमुख पोषक तत्व, पोटैशियम, सल्फर, कैल्शियम और मैग्नीशियम पाए जाते हैं.

  • इसकी क्रिस्टल संरचना होने से यह पानी में धीमे घुलता है और मृदा में अपने पोषक तत्वों को धीरे-धीरे छोड़ता है, इसलिए फसल चक्र के दौरान पोषक तत्व मृदा में लंबे समय तक उपलब्ध रहते हैं.

  • यह हल्दी की गुणवत्ता और उपज को स्थायी रूप से बढ़ाता है.

प्रयोग: अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान, स्विट्जरलैंड के सहयोग से तमिलनाडु के इरोड जिले में हल्दी की उपज पर पॉलीहैलाइट के प्रभावों का परीक्षण करने के लिए वर्ष 2019-20 में पॉट कल्चर और 2020-21 में फील्ड में  प्रयोग किया गया.

जिसमें पॉलीहैलाइट की विभिन्न खुराकों का अध्यन किया गया. अध्यन में राइजोम, क्लोरोफिल और करक्यूमिन की मात्रा और उपज पर पड़ने वाले प्रभाव का अवलोकन किया गया.

परिणाम (Result)

  • हल्दी में पोटैशियम उपयोग के बहुत अच्छे और महत्वपूर्ण परिणाम मिले.

  • पॉलीहैलाइट प्रयोग के अनुरूप राइजोम की उपज में वृद्धि हुई.

  • पोटैशियम के लिए एमओपी और पॉलीहैलाइट के विभिन्न अनुपातों 1:1 या 2:1 या 1:2 (एमओपी:पीएच) के प्रयोगों में सिर्फ एमओपी उपयोग की तुलना में काफी अधिक राइजोम उपज दर्ज की गयी.

  • पॉलीहैलाइट उपयोग से हल्दी में करक्यूमिन की मात्रा में काफी सुधार दैखने को मिला यह 14.2% से 73.9% तक दर्ज़ किया गया.

  • पोटैशियम प्रयोग से हल्दी की उपज में सुधार मिट्टी में पोटेशियम की निम्न स्थिति को दर्शाता है.

निष्कर्ष (Conclusion)

इन सभी परिणामों के आधार यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि हल्दी की अच्छी फसल के लिए पोटैशियम बहुत महत्वपूर्ण है और एमओपी के साथ पॉलीहैलाइट का उपयोग हल्दी की उपज और  गुणवत्ता को सुधारने में बहुत उपयोगी उर्वरक साबित होगा.

English Summary: International Potash Institute conducted Webinar on Enhancing Yield and Quality of Turmeric Crop with Polyhalite Fertilizer Published on: 13 July 2021, 08:06 AM IST

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