अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी देश देश में निवेश बढाने पर ध्यान दे रही है. कारगिल विश्व के कई देशों में अपना व्यवसाय करती है लेकिन भारत में इसका बिज़नेस काफी अच्छा है. इसलिए और अधिक अवसरों को देखते हुए यह कंपनी इस क्षेत्र में निवेश 16-20 फीसदी तक बढऩे की संभावना है। कंपनी का भारत पर काफी ध्यान है और इसने अगले चार सालों में 24 करोड़ डॉलर के निवेश की योजना शुरू की है। भारत में कारगिल का राजस्व 80 अरब रुपये का है। देश में इसके 3,500 कर्मचारी हैं। कंपनी ने जिन विकास क्षेत्रों की पहचान की है, उनमें शामिल हैं - पशुओं का आहार, स्वास्थ्यकारी तेल, कोको उत्पादों और अन्नागार (साइलो) का निर्माण।
कोको उत्पादों में कारगिल का बड़ा अंतरराष्ट्रीय कारोबार है। कंपनी कोको पाउडर, मक्खन और अन्य कोको उत्पाद बनाती है, जिन्हें यह अग्रणी चॉकलेट विनिर्माताओं को बेचती है। भारत में कारगिल मक्का, गेहूं और तेल जैसे विभिन्न जिंसों की करीब 10 लाख टन की खरीद करती है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार से कोको खरीदना अब एक चुनौती बन गया है, क्योंकि दुनिया भर में कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। पिछले दिनों कारगिल ने जनवरी में विजयवाड़ा स्थित फिश फिड मिल का अधिग्रहण किया था और एक करोड़ डॉलर का निवेश करके इसका आधुनिकीकरण किया था। सिराज चौधरी ने बताया कि कंपनी 1.5 करोड़ डॉलर की लागत से कर्नाटक के दावणगेरे में मक्का का अपना पहला अन्नागार स्थापित कर रही है। यह सुविधा केंद्र सितंबर या अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि 24 करोड़ डॉलर का एक बड़ा हिस्सा अभी तक निवेश नहीं किया गया है।
कारगिल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन सिराज ए चौधरी ने कहा, 'हम इस स्थान को उत्सुकता से देख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। चौधरी ने कहा कि कारोबार के इसी प्रकार के मौके भारत में विद्यमान हैं। चॉकलेट और आइसक्रीम विनिर्माताओं के अलावा कंपनी अपने चॉकलेट उत्पादों के लिए बेकरी और कन्फेक्शनरी विनिर्माताओं को लक्ष्य बना रही है, क्योंकि वे भी बड़े खरीदार हैं|
चौधरी ने कहा कि भारत में अधिकांश वृद्धि जैविक रहेगी, लेकिन कंपनी अजैविक वृद्धि के खिलाफ नहीं है। हालांकि, यह उचित मूल्यांकन पर उपलब्ध होने वाली बढिय़ा परिसंपत्तियों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अगले एक या दो साल में अपने मिश्रित पशु आहार और मत्स्य आहार कारोबार में विस्तार करने के लिए वे नए व्यापार की स्थापना का भी अवलोकन कर रहे हैं।
साभार : बिज़नेस स्टैण्डर्ड
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