जर्मन रसायन उत्पादन कंपनी बीएएसएफ ने हरियाणा के सिरसा में एक खास कीटनाशक प्रोडक्ट लॉन्च किया। यह नए और आधुनिक कीटनाशक का नाम सेफीना है और इसे बीएएसएफ के नए एक्टिव कैमिकल इंस्कैलिस से तैयार किया गया है। इंस्कैलिस एक नये रासायनिक वर्ग पाइरोपीन का पहला कीटनाशक है। दरअसल किसानों के बीच फसलों को हानी पहुंचाने वाले कीटों को लेकर काफी चिंता रहती है। छेद करने वाले और रस चुसने वाले कीटें, किसान की फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं और सेफीना का प्रयोग मुख्य तौर पर किसानों को इन्हीं कीटों से राहत दिलाएगा। इसके साथ ही कंपनी ने वहां अपने एक और प्रोडक्ट को लॉन्च किया जिसका नाम है प्रयाक्सर (तरक्की का नया मीटर) इसके प्रयोग से फसल ज्यादा हरी और स्वस्थ होती है, इसका प्रयोग टिंडे को बड़ा आकार और मजबूती देने में सक्षम है। वहीं कपास की अगर बात करें तो यह कपास की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने में सक्षम है। बीएएसएफ के प्रोडक्ट लॉन्च के दौरान वहां कंपनी के बीज़नेस मैनेजर संदीप सैनी, जेनरल मैनैजर महावीर दूबे, अमित शर्मा व उनकी टीम मौजूद थी।
प्रोजेक्टर के जरीए दी गई जानकारी, किसान और कुछ अन्य कंपनी के प्रतिनिधि उपस्थित रहे-
बीएएसएफ के द्वारा लॉन्च किये जा रहे प्रोडक्ट सेफीना और प्रयाक्सर के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारीयां प्रोजेक्टर के जरिए दी गई। जिसमें फसलों से रस चुसने वाले प्रमुख कीटों जैसे-जसिड्स और व्हाईटफ्लाई के प्रभाव और उनसे बचाव के बारे में किसानों को जानकारियां दी गईं।
सेफीना (इन्सकैलिस कीटनाशक) का प्रभाव 10 दिनों के भीतर दिखाई देता है-
सेफीना नई और तेज़ नियंत्रण कार्यपद्धति पर काम करता है। सेफीना एंटीना और जोड़ों पर स्थित कोर्डोटोनल अंगों पर हमला करता है। यह कीटों को बहरा कर देता है। जिसके कारण कीट जल्द ही खाना छोड़ देते हैं और प्यास तथा भूख के कारण मर जाते हैं। इस नयी कार्यपद्धति के साथ, सेफीना प्रतिरोध प्रबंधन के लिये छिड़काव कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सेफीना की प्रयोग की विधि-
सेफिना, छेद करने वाले और चूसने वाले कीटों जैसे-जसिड्स और व्हाईटफ्लाई को नियंत्रित करने हेतु कपास एवं अन्य सब्जी वाली फसलों पर उपयोग किया जाता है। सेफीना के एक अनोखी डीसी फॉर्म्युलेशन में अंतर निर्मित पेनेट्रंट होता है। यह छिड़काव के पदार्थ के अवशोषण और गतिविधि को तेज़ करके पत्तियों के पृष्ठभाग और नोक तक पहुंचने में मदद करता है। इस कारण, सेफीना ज़्यादा तेज़ और बेहतर असर दिखाता है।
इसका प्रयोग 400 मिली/एकड़ के अनुसार किया जाता है। और छिड़काव की विधि के बारे में बात करें तो पहला छिड़काव जासिड (तेला), सफेद मक्खी के प्रकोप की शुरुआत और दूसरा छिड़काव सफेद मक्खी के प्रकोप के अनुसार 7- 10 दिन की अंतराल में करना होगा।
- जासिड (तेला) की संख्या पौधे के ऊपरी हिस्से में, और सफेद मक्खी की संख्या पौधे के मध्यभाग में ज्यादा होने के कारण, पूरे पौधे पर घोल का छिड़काव करना आवशयक है।
-सफेद मक्खियों की अनेक पीढ़ियों पर नियंत्रण के लिये, 10 दिनों के अंतराल में दो बार छिड़काव का सुझाव दिया जाता है।
सेफीना के बारे में लोगों के सवालों का संदीप सैनी ने दिया जवाब
इवेंट के वक्त वहां मौजूद लोगों ने सेफीना के प्रयोग,विधि,समय व अन्य चिज़ों को लेकर कई सवाल पूछे जिसका जान्कारी के रूप में बेहद बारीकी से कंपनी के बीज़नेस मैनेजर संदीप सैनी ने जवाब दिया। इसके साथ ही किसानों और लोगों के बीच फतेहाबाद के अरूण मौजूद थे जिन्होंने बताया की वो बीएएसएफ की प्रोडक्ट सेफीना का प्रयोग अपने कपास व अन्य फसलों के लिए कर चुके हैं और उन्हें इससे काफी लाभ हुआ है। उन्होंने बताया की सेफीना के प्रयोग के बाद पत्तियाँ ताज़ी और स्वस्थ होती हैं इसके साथ ही पौधे का अच्छा विकास होता है और कपास उत्कृष्ट होती है।
जिम्मी, फुरकान कुरैशी
कृषि जागरण
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