सितंबर माह के शुरूआत से ही लोगों के घर के बजट बिगड़ने लगे हैं. सबसे ज्यादा आग आम आदमी के रसोई बजट में लगी हुई है. मंडियों में सब्जियों के भाव सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं. हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मात्र एक महीने में बहुत सी सब्जियों के दाम डेढ़ से डबल हो गए हैं. आलू थाली से गायब होने लगा है और प्याज तो मानों रूलाने पर आमदा है.
इन सब्जियों के बढ़े अधिक दामः
सब्जी मंडियों में शाम के समय भी खास हलचल नहीं है. बारिश के कारण सब्जियों की आवक कम हो रही है. ये हाल तब है जब जून-जुलाई में पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि के कारण पहले ही सब्जियों के दाम बढ़ चुके थे. कुछ समय पहले तक प्याज 18 से 20 रुपये किलो मिल रहा था और आज़ 45 से 50 रूपये किलो हो गया है. 15 से 20 रूपये किलो मिलने वाला आलू अब 33 से 40 रूपये किलो पहुंच गया है, भिंडी 32 से 40 और टमाटर 50 रूपये किलो तक मिल रहा है.
सबसे ज्यादा हालात महाराष्ट्र एवं उसके पड़ोसी राज्यों में खराब हैं. यहां बाढ़ के कारण प्याज के दाम में उछाल आया है। वहीं वाराणसी, जौनपुर, इलाहाबाद, फैजाबाद की मंडियों में भी सन्नाटा पसरा है. इस कारण गरीब एवं सामान्य वर्ग का बजट पूरी तरह से खराब हो गया है.
ये है दाम बढ़ने का कारणः
इस बारे में एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि बरसात के कारण पहले से रखी गई सब्जियों को अच्छे से सटोर करना मुश्किल हो रहा है और नई सब्जियां नहीं आ रही है, जिस कारण भाव बढ़ने लगे हैं. वहीं दाम बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा कारण जमाखोरी भी है. उन्होंने बताया कि सब्जियों के दाम बढ़ने से बिक्री ना के बराबर हो रही है, जिस कारण आमदनी प्रभावित हो रही है.
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