सोयाबीन के प्रमाणित बीजों की उपलब्धता का अनुमान लगाया गया है। ज्ञात हो कि कृषि मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि सोयाबीन के 9,300 टन बीज कम पड़ेगा। जिसका कारण सोयाबीन उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश बताया गया है। हालांकि इस दौरान दावा किया जा रहा है कि फसल का रकबा प्रभावित नहीं होगा।
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. वी.एस भाटिया का मानना है कि हम किसानों को हर तीन साल में बीज बदलने को कहते हैं। बीज के अभाव में सोयाबीन के रकबा किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होगा। लगभग 35 प्रतिशत की दर से बीज को बदला जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी सीजन में सोयाबीन की फसल अच्छी होने के आसार हैं क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार मानसून सामान्य रहने का आसार है।
डॉ. भाटिया ने कहा कि भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान लगातार प्रमाणित बीजों के अनुसंधान कार्य में लगा हुआ है। इस दौरान लगभग 8 उन्नत किस्मों पर कार्य किया जा रहा है जो कि विभिन्न जगहों की जलवायु के अनुसार विकसित की जा रही हैं। इसके अलावा केंद्रीय भारत में एनआरसी-127 किस्म बुवाई के लिए अनुकूल है।
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