देश का खाद्य तेल आयात बिल पिछले दो वर्षों में 118 प्रतिशत बढ़ा है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) से उपलब्ध डेटा में 2020-21 में ₹1.17 लाख करोड़ के मुकाबले 2021-22 के दौरान आयातित खाद्य तेल का बिल ₹1.56 लाख करोड़ दर्शाया गया है. ये पिछले तेल आयात बिल की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक है.
वर्ष 2021-22 की पहली दो तिमाहियों के दौरान देश में खाद्य तेल आयात धीरे-धीरे बढ़ा, हालांकि यह बाद में धीमा पड़ गया. इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल पर प्रतिबंध हटाने और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी से गिरावट के कारण चौथी तिमाही में ये आयात फिर से बढ़ गया. इससे भारत के व्यापारियों को खरीद में बढ़ावा मिला.
एसईए के अनुसार, इस साल पाम तेल की कीमतों में उच्च अस्थिरता ने भारत की पाम ऑयल खरीद को प्रभावित किया. मार्च-अप्रैल में थोड़े समय के लिए पाम ऑयल अन्य खाद्य तेलों के जितना महंगा रहा. इंडोनेशिया के पाम ऑयल पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से मई-जून में देश में इसके स्टॉक पर असर पड़ा. इससे अन्य तेलों जैसे सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का आयात देश को करना पड़ा.
नतीजन, 2021-22 के दौरान पाम तेल आयात में 79.15 लाख टन की कमी आई. जबकि 2020-21 में 83.21 लाख टन की तुलना में, अन्य खाद्य तेलों का आयात इस वर्ष 48.21 लाख टन से बढ़कर 63.15 लाख टन हो गया है.
पाम तेल उत्पादों पर एसईए ने कहा कि पामोलिन का आयात 2021-22 में दो गुना से अधिक बढ़कर 18.41 लाख टन हो गया. यह पिछले वर्ष 6.86 लाख टन था. वहीं, अन्य तेलों के बीच सोयाबीन तेल का आयात इस साल तेजी से बढ़कर 41.71 लाख टन हो गया. जो 2020-21 में 28.66 लाख टन था. इसी तरह सूरजमुखी तेल का आयात देश में 18.94 लाख टन से बढ़कर 19.44 लाख टन हो गया है.
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1 नवंबर तक देश में 24.55 लाख टन खाद्य तेलों का खुला स्टॉक था. भारत में प्रतिमाह 19 लाख टन खाद्य तेलों की खपत होती है. वर्तमान में देश में 40 दिनों का स्टॉक है. यह विश्व में सबसे अधिक खाद्य तेलों का स्टॉक है. इंडोनेशिया और मलेशिया देश को आरबीडी पामोलिन और सीपीओ के प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता हैं.
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