नयी दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने तीन वर्ष पूर्व शुरू की गई अपनी अग्रणी परियोजना ‘चमन’ की समीक्षा करने के दौरान आज कहा कि खरीफ सत्र में दलहन उत्पादन में करीब सात लाख टन की जो कमी आई है उसकी भरपाई आगामी रबी सत्र की दलहन पैदावार से की जा सकती है। राधा मोहन सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले साल दलहनों की रिकॉर्ड पैदावार हुई थी। इस वर्ष खरीफ सत्र में उत्पादन में कुछ कमी आई है। लेकिन हमें उम्मीद है कि इस कमी की भरपाई रबी सत्र की पैदावार से हो जायेगी।’’
केन्द्रीय मंत्री ने आज अग्रणी परियोजना ‘चमन’ की समीक्षा की। इस परियोजना को सुदूर संवेदी तकनीक के इस्तेमाल के जरिये बागवानी क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने लिए तीन वर्ष पहले शुरू किया गया था। मौजूदा चरण में इसके लिए 185 जिलों को परियोजना के दायरे में लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह परियोजना अगले वर्ष मार्च तक पूरी होगी।’’ उन्होंने कहा कि अगले वर्ष मार्च तक सभी राज्यों को आकड़े उपलब्ध कराये जायेंगे जिसके आधार पर इस क्षेत्र के विकास के लिए रणनीति को तैयार किया जा सकता है। सिंह ने कहा कि बागवानी का क्षेत्र कृषि क्षेत्र के विकास के मुख्य औजारों में साबित हो सकता है।
भारत दुनिया में सब्जियों और फलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और यह विश्व में केला, आम, नींबू ,पपीता और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है। सिंह ने कहा कि चमन एक पायोनीर परियोजना है जिसमे किसान की आय बढाने के लिए तथा बागवानी क्षेत्र के सामरिक विकास के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जो सात महत्वपूर्ण बागवानी फसलों के विश्वसनीय अनुमान तैयार करने की एक वैज्ञानिक पद्धति है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को बागवानी फसलों के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान चिन्हित करके सही फसल पैदा करने में यह पद्धति मदद करती है ताकि उनकी आय में वृद्धि हो।
सिंह ने कहा कि चमन अध्ययनों के माध्यम से चिन्हित उच्च उपयुक्तता वाले झूम क्षेत्रों में खेती करने से पूर्वोत्तर क्षेत्रो के किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा चिन्हित जिलों में फसलोपरांत अवसंरचना विकास करके किसानों के फसलोपरांत होने वाले नुकसान में कमी आएगी तथा आय में वृद्धि होगी। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि फसल गहनता, फलोउद्यान का पुनरूद्धार और एक्वा-होर्टिकल्चर जैसी विकासात्मक अध्ययन के माध्यम से भी बागवानी फसलों को लाभकारी तरीके से पैदा करने में तथा किसानों की आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
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