Onion Price Today: दिवाली त्योहार से पहले कई राज्यों में प्याज की बढ़ती कीमत ने उपभोक्ताओं के बीच चिंता बढ़ा दी है. पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों में प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं. प्याज की कीमतों में हालिया उछाल को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की ओर से कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. वहीं, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने निर्यात में कमी और घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के लिए 29 अक्टूबर, 2023 से 31 दिसंबर, 2023 तक प्याज पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को देश के सबसे बड़े थोक प्याज बाजार लासलगांव में प्याज की औसत थोक कीमतें पांच दिनों में 24 प्रतिशत गिरकर 3,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं. दरअसल, लासलगांव में प्याज की औसत थोक कीमतें 3 अक्टूबर को 2,050 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 28 अक्टूबर को 4,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं थीं. प्याज की कीमतों में हालिया उछाल कई वजह से हो सकता है, जिसमें घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में सप्लाई की कमी भी शामिल है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं प्याज की कीमतों में उछाल के पीछे के संभावित कारण क्या-क्या हैं?
प्याज की कीमतों में उछाल का संभावित कारण क्या हो सकता है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्याज की कीमत में उछाल के लिए कई कारकों को जिम्मेदार माना जा रहा है. इसमें मांग और सप्लाई में अंतर और प्याज की खेती में देरी जिसके परिणामस्वरूप नई फसल की देर से आवक शामिल है. मालूम हो कि आमतौर पर भारत में प्याज की कटाई साल में दो बार की जाती है. प्याज की कटाई एक बार रबी सीज़न में (नवंबर और दिसंबर के दौरान) और फिर खरीफ सीजन (जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर तक) में की जाती है.
वहीं, कीमत के पीछे प्राथमिक कारणों में से एक उन किसानों की प्राथमिकता हो सकती है जो अधिक पैसा कमाने के लिए प्याज उगाते हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचते हैं. इससे देश में सप्लाई की कमी हो गई है और इसके परिणामस्वरूप कीमत में बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा, दूसरा कारण देर से कटाई के कारण बाजार में नई फसलों के आने में देरी है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि देश के कई हिस्सों में विपरीत मौसम की स्थिति के कारण खरीफ प्याज की बुआई में देरी हुई है. इसके परिणामस्वरूप खेती कम हुई और फसल की आवक में देरी हुई है.
प्याज की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
उपभोक्ता मामलों के सचिव, रोहित कुमार सिंह ने हाल ही में बताया था कि अगस्त के मध्य से, बफर स्टॉक से प्याज बाजार में जारी किया गया है और सरकार कीमतों में और बढ़ोतरी को रोकने के लिए खुदरा वितरण भी बढ़ा रही है. राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) के माध्यम से बफर प्याज महज 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके अलावा, उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय पांच लाख टन का बफर प्याज स्टॉक बनाए हुए है और आने वाले दिनों में दो लाख टन और प्याज की खरीद होगी.
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इसके अलावा, सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की बिक्री को सीमित करने के लिए प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत कर भी लगाया है, जबकि पहले प्याज पर कोई निर्यात कर नहीं था. वहीं, केंद्र ने प्याज निर्यात के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 66,730 रुपये प्रति टन तय किया है. मतलब, 31 दिसंबर 2023 तक कोई भी प्याज व्यापारी इससे कम कीमत पर प्याज का निर्यात नहीं कर सकता है.
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