मध्य प्रदेश सरकार ने दाल बनाने के लिए दूसरे प्रदेशों से मंगायी जाने वाली दलहन पर मण्डी शुल्क में छूट देने का ऐलान किया है। इस बीच ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान व कृषि विकास व किसान कल्याण मंत्री गौरीशंकर बिसेन के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों से कई बार बात हुई। अध्यक्ष सुरेश के मुताबिक मध्य प्रदेश में दाल मिलें लगभग 5 से 6 महीने तक ही चल पाती हैं जिसके बाद प्रदेश को बाहर के राज्य गुजरात, महाराष्ट्र,राजस्थान,कर्नाटक आदि से दाल मंगानी पड़ती हैं। जिस पर मंडी शुल्क लगाने से दाल इंडस्ट्रीज काफी मुश्किल से चल पा रहीं हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि मंडी शुल्क लगने से दाल मिलों में उत्पादन काफी कम हो गया है जिससे मध्य प्रदेश में दालें 1.50 रुपए महंगी हो गईं हैं। जिससे दाल की बिक्री भी बहुत कम हुईं हैं। तो वहीं दूसरी ओर दूसरे राज्यों में बाहर से आई हुई दलहनों पर मंडी शुल्क नहीं लगता जिससे वहां का दाल उत्पादन काफी फल-फूल रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों से आने वाले ट्रक भाड़ा भी अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक लगता है।
इस दौरान उनका कहना है कि देश में एक देश एक कर लागू होते ही मंडी शुल्क हट जाना चाहिए था। इसके लिए दाल मिल काफी दिनों से प्रयासरत है। फिर भी यदि राज्य सरकारें मंडी के रख-रखाव के लिए शुल्क मांगती हैं तो देश के हर राज्य में एक ही दर 0.50 पैसा प्रति सैकड़ा की दर से लागू किया जाना चाहिए ताकि देश में एकसमान मंडी शुल्क लागू कि जा सके।
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