एक कहावत हैं -“उत्तम करे कृषि, मध्यम करे व्यापार और सबसे छोटे करे नौकरी” ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि कृषि करने वाले लोग प्रकृति के सबसे करीब होते हैं और जो प्रकृति के करीब हो वह तो ईश्वर के करीब होता हैं. कुछ यही मिसाल पटना से सटे खुसरुपुर के बैकटपुर गांव (Baikatpur village of Khusrupur adjacent to Patna) में रहने वाले राजेश कुमार सिन्हा (Rajesh Kumar Sinha) भी दे रहे हैं.
जैविक खेती की है डिमांड (Organic farming is in demand)
राजेश पहले मुंबई में 80 हज़ार की नौकरी करते थे, लेकिन 2020 में उनकी माँ के निधन के बाद वो अपने पिता के साथ गांव लौट आये और खेती करने लगे. सबसे खास बात तो यह है कि राजेश पारंपरिक खेती नहीं बल्कि जैविक खेती (Organic Farming) करते हैं जिससे वो महीने के अब 14 से 15 लाख रुपये कमा रहे हैं.
राजेश 5 बीघा में खेती करते हैं, जिसमें वो खाद (Organic Fertilizers) के रूप में गोबर, गुड़, सूखे पत्ते, किचन वेस्ट अपने पौधों में डालते हैं. यह एक तरह से फसलों में प्राकर्तिक संसांधनों का इस्तेमाल करते है जो कि इकोफ्रेंडली (Eco-friendly Farming) भी है और किसानों के बीच आजकल बड़ी सुर्ख़ियों में बना हुआ है.
खेती के साथ पशुपालन भी है जरुरी (Along with agriculture, animal husbandry is also important.)
इसके अलावा राजेश मछली पालन (Fish Farming) और बत्तख पालन (Duck Farming) भी करते हैं. खेती के साथ-साथ पशुपालन (Animal Husbandry) करना बहुत ही अच्छा माना जाता है. मछली और बत्तख दोनों ही पानी वाले जानवर है, जिससे यह दोनों जीव एक जगह में भी रह सकते है जिससे जगह की बचत होती है.
औषधीय पौधे है फायदे का सौदा (Medicinal plant benefits deal)
राजेश यही नहीं थमे है, बल्कि इन्होंने बहुत से औषधीय पौधे भी उगाये हुए है. इसमें इंसुलिन, एलोवेरा, मसाला और तुलसी के पौधे शामिल है. राजेश बताते हैं कि उन्हें औषधीय पौधों (Medicinal Plants) से भी अच्छी कमाई होती है.
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जैविक कीटनाशक करते है इस्तेमाल (Use of organic pesticides)
राजेश इन सब के अलावा काले गेंहू (Black wheat) और फूलों की खेती (Flower cultivation) भी करते है जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा प्राप्त हो जाता है. इन सब के आर्गेनिक कीटनाशक (Organic insecticide) छिड़काव के लिए राजेश गौमूत्र और नीम के छिलके का इस्तेमाल करते हैं.
जहां चाह, वहां राह (Where there is a will, there is a way)
राजेश बताते हैं कि वह पहले मुंबई में इंब्रायडरी का काम करते थे लेकिन उनकी माँ के निधन के बाद वो यहां आकर खेती करने लगे जिससे उन्हें खुद को बहुत अच्छा लगने लगा. बता दें कि राजेश ने आर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) की सीख और समझ यूट्यूब के जरिये ली है.
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